पेगासस फोन टैपिंग-

Pegasus Phone Tapping-

पेगासस फोन टैपिंग-

पेगासस फोन टैपिंग पर बोले राहुल गांधी-मेरा फोन हुआ टैप-

कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व वाली सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करते हुए फोन टैपिंग करने के आरोपों पर अगले सप्ताह गृह मंत्रालय सहित अन्य सरकारी अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है.

सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने दावा किया है कि आमतौर पर सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, राहुल गांधी सहित विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों

इजराइल के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित जासूसी करने के मामले को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा बरपा हुआ है.

विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार फोन टैप कराकर लोगों की व्यक्तिगत बातों को सुन रही है जोकि ‘निजता के अधिकार’ का घोर उल्लंघन है.

विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को संसद की कार्यवाही को बाधित किया. उन्होंने नेताओं, पत्रकारों और अन्य पेगासस विवाद पर बहस की मांग की.दरअसल, सर्विलांस और फोन टैपिंग जैसे मुद्दे पहले भी संसद में उठाए जा चुके हैं.

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कथित अवैध फोन टैपिंग पर संसदीय सवालों के जवाब में मौजूदा सरकार ने कहा है कि केवल अनलॉफुल इंटरसेप्शन हुए हैं.

मौजूदा सरकार ने 2014 से बार-बार भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 (2) का हवाला देती रही है. 2019 में कथित गैरकानूनी निगरानी पर असदुद्दीन ओवैसी के सवाल के जवाब में तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा को बताया था कि आरोप “सरकार को बदनाम करने” के प्रयासों का हिस्सा हैं.

प्रसाद ने आरोपों को “पूरी तरह से भ्रामक” बताते हुए खारिज कर दिया था.फरवरी 2021 में लोकसभा सदस्य मेनका गांधी ने सरकार से पूछा था कि क्या उसे देश में पेगासस स्पाइवेयर की मौजूदगी का पता चला है या उसने देश में निगरानी पर किसी स्पाइवेयर के इस्तेमाल या बिक्री की जांच शुरू की है.

तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने जवाब दिया था कि सरकार के पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.राज्यसभा सदस्य रवि प्रकाश शर्मा ने नवंबर 2019 में जानकारी मांगी थी कि 2018 और 2019 में अधिकृत फोन टैपिंग के मामलों की संख्या और अनधिकृत और अवैध फोन टैपिंग की जांच के लिए क्या कदम उठाए गए.

जवाब में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने अधिकृत फोन टैपिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी. उन्होंने जोर देकर कहा था कि कोई अवैध टैपिंग नहीं हुई है. इस प्रकार अनधिकृत और अवैध फोन टैपिंग की जांच के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में “कोई सवाल नहीं उठता”.

2015 में संसद सदस्य विष्णु दयाल राम ने सरकार से निगरानी एजेंसियों के बारे में पूछा था. उन्होंने निगरानी में लगे सरकार के विशिष्ट संगठनों का विवरण भी मांगा. तत्कालीन गृह राज्य मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने जवाब दिया कि देश में सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की स्ट्रैंथ का आकलन एक सतत प्रक्रिया है.

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उन्होंने निगरानी की ऐसी एजेंसियों का नाम लेने से इनकार कर दिया. चौधरी ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में इस संबंध में विवरण का खुलासा नहीं किया जा सकता है.जुलाई 2015 में सरकार ने संसद को बताया था कि वर्तमान व्यवस्था पर्याप्त प्रतीत होती है और वैध अवरोधन के लिए कोई नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

2019 वॉट्सऐप की ओर से पेगासस का उपयोग करने को लेकर सरकार ने संसद को बताया था कि वह नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर काम कर रही है.

विधेयक को दिसंबर 2019 में लोकसभा में पेश किया गया था और बाद में समीक्षा के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा गया था.मार्च 2015 में सरकार ने कहा कि वह “अपरिहार्य परिस्थितियों में” कॉल को इंटरसेप्ट करती है.

इसके लिए आदेश एक अधिकारी द्वारा जारी किया जा सकता है, जो संयुक्त सचिव के पद से नीचे का न हो, जिसे केंद्रीय गृह सचिव द्वारा विधिवत अधिकृत किया गया हो.

सरकार ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अनुरोध पर केंद्रीय गृह सचिव द्वारा प्रति माह औसतन 5,000 इंटरसेप्शन आदेश जारी किए जाते हैं.

दरअसल, मीडिया घरानों के वैश्विक संघ की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद विवाद पैदा गया है, जिसमें दावा किया गया है कि भारत सहित कई देशों में कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, न्यायाधीशों और पत्रकारों की संभावित जासूसी के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया है.

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विपक्ष जहां इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए, वहीं सरकार ने पूरे मामले में किसी भी तरह की संलिदुनिया का सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस एक बार फिर से सुर्खियों में है।

सफाई के साथ किसी की जासूसी करने के लिए पेगासस जाना जाता है।

2019 में व्हाट्सएप के कई यूजर्स की ट्रैकिंग के लिए पेगासस काफी चर्चा में था और दो साल बाद अब फिर से करीब 300 मोबाइल नंबर की जासूसी करने को लेकर पेगासस चर्चा में है।

इस्राइल के पेगासस सॉफ्टवेयर से देश के करीब 300 वेरिफाइड मोबाइल नंबरों की जासूसी होने की रिपोर्ट सामने आई है।

इनमें सरकार में शामिल मंत्रियों, नामचीन नेताओं, बड़े पत्रकारों के अलावा अधिवक्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के नाम शामिल होने का दावा किया गया।

यह रिपोर्ट द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की एक संयुक्त जांच के बाद सामने आई है।

इस्राइल के NSO ग्रुप/Q साइबर टेक्नोलॉजीज ने इस स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) को तैयार किया है। पेगासस का दूसरा नाम Q Suite भी है।

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पेगासस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है जो एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस दोनों की जासूसी कर सकता है।

पेगासस सॉफ्टवेयर यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में इंस्टॉल हो सकता है।एक बार फोन में इंस्टॉल हो जाने के बाद इसे आसानी से हटाया नहीं जा सकता है।

पेगासस को किसी फोन में सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिए इंस्टॉल किया जा सकता है। यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है यानी इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप्स भी सुरक्षित नहीं हैं।

समाचार एजेंसी एनएनआई से बातचीत में साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप का कहना है कि फॉरबिडन स्टोरीज की रिपोर्ट पूरी तरह से गलत और निराधार है।

एनएसओ का कहना है कि इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है कि पिगासस के जरिए ही 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की जासूसी हुई है।

यह रिपोर्ट वास्तविकता से बहुत दूर है। एनएसओ का कहना है कि रिपोर्ट को देखकर ऐसा लग रहा है कि जिन सूत्रों से यह खबर प्रकाशित की गई है वह पूरी तरह से मनगढ़ंत है।

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ग्रुप का यह भी कहना है उसके सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कभी भी किसी के फोन की बातें सुनने, उसे मॉनिटर करने, ट्रैक करने और डाटा इकट्ठा करने में नहीं होता है।

ग्रुप के मुताबिक पेगासस सॉफ्टवेयर कुछ चुनिंदा देशों की कानूनी एजेंसियों को दिया जाता है जिनका मकसद किसी की जान बचाना और देश की सुरक्षा करना होता है।

एनएसओ ग्रुप से जब यह पूछा गया कि क्या उसने भारत सरकार को पेगासस सॉफ्टवेयर दिया है तो ग्रुप ने कहा कि यह जानकारी गोपनीय है और पॉलिसी के मुताबिक वह इसकी जानकारी साझा नहीं कर सकता है।

हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों पर निगरानी रखने संबंधी आरोपों को खारिज किया है. इजराइली निगरानी कंपनी एनएसओ समूह ने भी इन खबरों को खारिज किया है.

लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, थरूर के नेतृत्व वाली सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक 28 जुलाई को निर्धारित है.

इस बैठक का एजेंडा ‘नागरिक डाटा सुरक्षा एवं निजता’ हैइस समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा से हैं. समिति ने इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है.

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सूत्रों ने कहा कि बैठक में पेगासस फोन टैपिंग का मामला निश्चित रूप से सामने आयेगा और अधिकारियों से जानकारी मांगी जायेगी.

पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग करते हुए ‘जासूसी’ का विषय संसद में और उसके बाहर बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. इसके कारण संसद के मानसून सत्र में दो दिन विपक्षी सदस्यों ने भारी शोर शराबा किया.

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