बुंदेलखंड में रेत की बढ़ती महामारी

sand epidemic in bundelkhand
sand epidemic in bundelkhand

मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में चंदला, लवकुशनगर, गौरिहार और सरबई क्षेत्र में इन दिनों ज़िले के बाहर के र्निबाचित जन प्रतिनिधियों मुख्यत: बिधायको की बढ़ती रुचि दिनों दिन बढ़ रही है,

जबकि छतरपुर ज़िले के 99 फीसदी बिधायक जो बिधायक बनने से पूर्व कभी लवकुशनगर, चंदला, गौरिहार और सरबई क्षेत्र की ओर नजर नहीं उठाते थे यहां कभी दिखते नहीं थे.

बह आज यहां मधुमक्खीयो की भांति मंडरा रहे हैं यदि कहें बिधानसभा भवन के बाद एक जगह पर सर्वदलीय बिधायकगणों के मिलने का एक नया और एक मात्र स्थान रेत खदानें बन गई है तो संभवतः ग़लत नहीं होगा।

आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रेत के इस खेल में शामिल बिधायको की बढ़ती संख्या और रुचि पर संज्ञान क्यो नही लेते ? कहने को सरकार ने नई खनन नीति बनाई है परंतु नई नीति को अब तक प्रक्रियागत जटिलताओं के कारण लागू नहीं किया गया है l जिसका भरपूर लाभ विधायक और उनके सलाहकारजन बटोरने में संलिप्त हैं।

ऐसा नहीं कि हमारे माननीय जनों को खाने कमाने के लिए कारोबार करने का अधिकार नहीं परंतु इन्हे माननीय की मान्यता प्राप्त होने से पूर्व जिनका इस क्षेत्र और क्षेत्र की रेत खदानों से कभी कोई बास्ता नहीं रहा बह लोग चुनें जाने पर माननीय बनने के बाद ही क्यो रेत के खेल में शामिल होने लगें है ? शायद इस प्रश्न का जवाब किसी माननीय के पास न हो l

Also Read

ज्यादा फेसवॉश आपकी त्वचा को पहुंचा सकता है नुकसान, जानिए Skin care से जुड़े जरूरी टिप्स

You may also like...