Amroha News: प्रधान महिला दावेदार को लेखपाल ने कागज पर दिया मार: कोर्ट ने 12 साल बाद सुनाई 3 साल की सजा

यूपी के अमरोहा जिला में एक महिला प्रधान प्रत्याशी को लेखपाल ने वोटर लिस्ट में मरा बता दिया था। इस मामले में 12 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माना लेखपाल पर लगाया है।

अमरोहा: अमरोहा जिले में विरोधियों से मिलकर चुनाव लड़ने से रोकने के लिए प्रधान पद की एक दावेदार को मरा दिखाने में 12 साल बाद लेखपाल और दंपती को कोर्ट ने तीन तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही तीनों पर 49 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो चुकी है। एक आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है।

पंचायत चुनाव में महिला को मृतक दर्शाने व विरोध करने पर घर में घुसकर मारपीट करने के मामले अदालत ने लेखपाल समेत तीन लोगों को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। 32 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

यह मामला पंचायत चुनाव के दौरान का है। आदमपुर थाना क्षेत्र के पौरारा गांव में 2010 में पंचायत चुनाव हुए थे। गांव की रूपवती ने ग्राम प्रधान पद के लिए गंगेश्वरी ब्लॉक में जाकर नामांकन किया था। जांच में रिटर्निंग ऑफिसर ने रूपवती का नामांकन निरस्त कर दिया था। दलील दी गई थी कि रूपवती को वोटर लिस्ट में मरा हुआ दर्शाया गया था। रूपवती ने डीएम से शिकायत की थी।

गांव के ही जयपाल सिंह, नानक सिंह, जयवती, मुकेश कुमार और तत्कालीन हल्का लेखपाल रंजीत सिंह पर साजिश के तहत वोटर लिस्ट में हेराफेरी करने का आरोप लगाकर कार्रवाई की मांग की थी। आरोप है कि शिकायत के आरोपी रूपवती से रंजिश रखने लगे और 11 फरवरी 2011 को रूपवती के घर पर हमला कर दिया। रूपवती और उसके परिजनों के साथ मारपीट की। शिकायत के बाद पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। मजबूर रूपवती ने कोर्ट में दस्तक दी।

कोर्ट के आदेश पर पांचों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। फिलहाल आरोपी बाहर थे। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट तृप्ता चौधरी की अदालत में केस विचाराधीन था। एक आरोपी नानक सिंह की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी। बुधवार को कोर्ट ने सुनवाई के बाद एक और आरोपी मुकेश को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया।

जयपाल, उसकी पत्नी जयवती और लेखपाल रंजीत सिंह को दोषी मानते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज सक्सैना के मुताबिक दोषी लेखपाल पर 25 हजार और दंपति पर 24 हजार रुपये जुर्माना भी कोर्ट ने लगाया है।

मामला हसनपुर तहसील क्षेत्र के थाना आदमपुर के गांव पौरारा से जुड़ा है। साल 2010 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान गांव निवासी रूपवती ने ग्राम प्रधान पद के लिए गंगेश्वरी ब्लाक में नामांकन पत्र दाखिल किया था। रिटर्निंग आफिसर ने उनका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि मतदाता सूची में उन्हें मृत दर्शाया गया है।

इसके बाद चुनाव लड़ना तो दूर रूपवती मतदान भी नहीं कर सकी थीं। रूपवती ने मामले में गांव के ही निवासी जयपाल सिंह, नानक सिंह, जयवती, मुकेश कुमार व तत्कालीन हल्का लेखपाल रंजीत सिंह की शिकायत जिलाधिकारी से की थी। आरोप लगाया था कि लेखपाल रंजीत सिंह ने उपरोक्त चारों लोगों से हमसाज होकर मतदाता सूची में उन्हें मृत दर्शाया है।

शिकायत करने पर सभी लोग उससे रंजिश रखने लगे। 11 फरवरी 2011 को सभी ने एकराय होकर उसके घर पर हमला कर दिया। रूपवती व अन्य परिजनों के साथ मारपीट की। पुलिस ने मामले में कार्रवाई नहीं की। बाद में अदालत के आदेश पर पांचों लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। फिलहाल पांचों आरोपी जमानत पर थे।

मुकदमा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट तृप्ता चौधरी की अदालत में चल रहा था। सुनवाई के दौरान नानक सिंह की मौत हो गई। बुधवार को अदालत ने सुनवाई के दौरान मुकेश को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

जबकि जयपाल, जयवती तथा लेखपाल रंजीत सिंह को दोषी मानते हुए तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी करने वाले सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज सक्सेना ने बताया कि अदालत ने दोषियों पर 32 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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