यूपी : मुआवजे की रकम डकारने के लिए अफसरों ने बांट दी मौत, सुहागनों को बना दिया ‘विधवा

kesav prasad
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UP: Officers distributed death for belching the compensation amount, made the Suhagins to ‘widow’-

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई है। एक के बाद एक बड़े घपले सामने आ रहे हैं। अब लखनऊ के ही दो गांवों में 29 फर्जी लाभार्थी मिले हैं।

इनमें 21 महिलाओं के पतियों के जीवित होते हुए भी उन्हें मृत दिखा दिया गया है। ताकि, योजना के तहत प्रति लाभार्थी मिलने वाले 30 हजार रुपयों की बंदरबांट की जा सके।

इस योजना में भ्रष्टाचार को लगातार उजागर कर रहा है। अगर ईमानदारी से पूरे प्रदेश में इस योजना की जांच करा ली जाए, तो और भी बड़े घपलों के सामने आने की आशंका से कुछ अफसर भी इंकार नहीं कर रहे हैं।

एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कठोर नियम बना रही है व भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकार में बैठे कर्मचारी सरेआम लाभकारी योजना में घपला कर भ्रष्टाचार की परिभाषा को जीवित कर रह रहे हैं।

ताजा मामला उत्तर प्रदेश के लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील के बंथरा और चंद्रावल गांव का है। जहां साल 2019 से 2020 और 2020 से 2021 में कुल 88 लोगों को राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना का लाभ दिया गया। जिनमें 21 महिलाओं को फर्जी तरीके से योजना का भुगतान किया गया।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआती जांच में सामने आया है कि लाभ पाने वाली इन महिलाओं में 21 महिलाएं ऐसी थी जिनके पति जीवित हैं। उसके बाद भी फर्जी तरीके से महिलाओं को योजना का भुगतान किया गया।

लखनऊ की तहसील सरोजनीनगर के ग्राम बंथरा और चंद्रावल में वर्ष 2019-20 और 2020-21 में कुल 88 लोगों को योजना का लाभ दिया गया। इस योजना के अंतर्गत उन परिवारों को लाभ दिया जाता है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हों।

साथ ही मृत्यु के समय कमाऊ मुखिया की उम्र 60 बरस से कम हो। आम तौर पर पति के मरने पर पत्नी के बैंक खाते में राशि भेजी जाती है।गोरखपुर के डीएम ने गोला तहसील के उपजिलाधिकारी को फर्जी आवेदन मिलने पर इस तरह की गड़बड़ियां रोकने के लिए चेताया है।

अलबत्ता कानपुर में गड़बड़ियां मिलने पर वहां के जिला समाज कल्याण अधिकारी समेत कई कर्मियों को सस्पेंड किया गया है। जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं, अगर जांच सही तरीके से हो जाए तो और भी बड़े घपले सामने आने की आशंका से कई अफसर भी इनकार नहीं कर रहे।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस फर्जी भुगतान में दलाल से लेकर भ्रष्ट अफसर तक मिले हुए हैं। खबर की मानें तो फर्जी भुगतान में दलाल से लेकर भ्रष्ट अफसर तक कमीशन तय रहता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाभार्थी महिला को 30,000 में से मात्र 10000 से 15000 हजार रुपये ही मिले, बाद बाकी का रकम दलाल और अफसरों के पॉकेट में चला गया।

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बंथरा की ही माया देवी के पति सुरेश कुमार की मृत्यु 17 मई 2016 को हुई, मगर ऑनलाइन आवेदन में मृत्यु की तिथि 14 नवंबर 2019 दिखाकर योजना का लाभ दिया गया। जबकि, योजना का लाभ मृत्यु के साल भर के भीतर आवेदन करने पर ही दिया जाता है।

राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के तहत लखनऊ के बंथरा में पिछले दो साल में मिलन देवी, रेखा, सोनी, शशी, सुनीता, रामा, संगीता शर्मा, रघुराई, रुची सविता, राम रानी, सन्नो, राजकुमारी, स्नीला देवी, मुन्नी, किरन, वंदना, ज्योति, काजल देवी, लीला, रंजना और बजिया को उनकी पति की कथित मृत्यु पर इस योजना का लाभ दिया गया।

पड़ताल में सामने आया है कि इन 21 महिलाओं के पति क्रमश: राम प्रकाश, बराती, धर्मवीर, राजोल, शंकर, राम कुमार, सत्य प्रकाश, रज्जन लाल, विनोद कुमार, भाई लाल, अमृत लाल, भगवती, छंगा, मो. इदरीश, रामचंद्र, मन्नू, संगीता, विवेक कुमार, राजेंद्र कुमार, सुजीत और राजू अभी भी जीवित हैं।

यानी इन महिलाओं को फर्जी ढंग से भुगतान किया गया। वहीं, चंद्रावल में भी फर्जी लाभार्थी मिले हैं।बंथरा की ही रामरती के पति कल्लू की मौत तो 28 मई 2009 को हुई थी, पर उन्हें वर्ष 2019-20 में योजना का लाभ दिया गया।

इसी तरह से चंद्रावल की बताशा पत्नी लेखई, पियारा पत्नी रज्जन, बंथरा की किरन देवी पत्नी सुभाष चंद्र, शिवपति पत्नी मुन्ना राठौर, श्माम रानी पत्नी कृष्ण कांत गुप्ता और श्यामवती पत्नी विजय कुमार को अपात्र होते हुए भी भुगतान किया गया।

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पिछले दो साल में बंथरा में मिलन देवी, रेखा, सोनी, शशी, सुनीता, रामा, संगीता शर्मा, रघुराई, रुची सविता, राम रानी, सन्नो, राजकुमारी, स्नीला देवी, मुन्नी, किरन, वंदना, ज्योति, काजल देवी, लीला, रंजना और बजिया को उनकी पति की कथित मृत्यु पर इस योजना का लाभ दिया गया।

पड़ताल में सामने आया है कि इन 21 महिलाओं के पति क्रमश: राम प्रकाश, बराती, धर्मवीर, राजोल, शंकर, राम कुमार, सत्य प्रकाश, रज्जन लाल, विनोद कुमार, भाई लाल, अमृत लाल, भगवती, छंगा, मो. इदरीश, रामचंद्र, मन्नू, संगीता, विवेक कुमार, राजेंद्र कुमार, सुजीत और राजू अभी भी जीवित हैं।

यानी इन महिलाओं को फर्जी ढंग से भुगतान किया गया।

बता दें, उत्तर प्रदेश में ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बलरामपुर, चित्रकूट, कानपुर समेत कई जिलों में ऐसी गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं, जहां पर स्थानीय जिला प्रशासन ने विभागीय कार्रवाई कर दोषी कर्मचारियों को सस्पेंड किया था।

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