4200 साल पुराना ये चमत्कारी मंदिर, बताता है बारिश का अनुमान-

This miraculous temple is 4200 years old, tells the forecast of rain-
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नई दिल्ली। भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जिसे चमत्कारों का देश कहा जाता है। यहां पर चमत्कार होते भी हैं और वह नजर भी आते हैं। ऐसे ही एक चमत्कारी मंदिर में हमारी की टीम पहुंची। ये चमत्कारी मंदिर कानपुर के अंतर्गत आने वाले घाटमपुर में स्थित है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर के गर्भगृह के गुम्बद के शिर्ष पर एक ऐसा चमत्कारी पत्थर लगा हुआ है, जो मानसून के आने से पहले ही बता देता है कि इस बार की बारिश कैसी होगी।

 वैसे तो इस मंदिर के नाम की बात करें तो इस मंदिर का नाम जगन्नाथ मंदिर है मगर इस मंदिर का दूसरा नाम मानसून मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।आपको बता दे कि कानपुर क्षेत्र में शहर से 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर के बेहटा-बुजुर्ग गांव में यह चमत्कारी मंदिर स्थित है। इस मंदिर के इतिहास की बात करे तो इसको किसने बनवाया, कब बनवाया किसी के पास कोई पक्के प्रमाण नहीं है। वर्तमान में मंदिर पुरातत्व के आधीन होने के चलते मंदिर को पौराणिक मंदिर की संज्ञा मिली हुई है।

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 इस मंदिर के शीर्ष पर एक सूर्य चक्र भी स्थापित है ऐसा माना जाता है कि मंदिर पर चक्र स्थापित होने के चलते गांव में कभी भी आकाशी बिजली नहीं गिरती है। वहीं, अगर मंदिर के गर्भ गृह की बात करें तो उस इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की 24 अवतार रूपी प्रतिमा स्थापित है जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।

प्रतिमा में कलयुग में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार को भी दरसाया गया है।इस चमत्कारी मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के ठीक ऊपर बने गुंबद के शीर्ष पर एक पत्थर लगा हुआ है जिसे मानसून पत्थर का नाम दिया जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक बारिश और मानसून आने से 15 दिन पहले ही मंदिर के गुंबद पर पानी की बूंदे अपने आप आ जाती हैं और बारिश से पूर्व ही मंदिर के गर्भ गृह में पानी भी टपकने लगता है।

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 जिसे देखने के लिए आसपास के ग्रामीण भी मंदिर में पहुंचकर बारिश की स्थिति का जायजा लेते हैं और मंदिर के मुताबिक ही मिले बारिश के अनुमान को देखते हुए खेती करते हैं। मंदिर के पुजारी ने अनुसार मंदिर सदियों वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। कई बार इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है, मगर वर्तमान की स्थिति 4200 वर्षो से भी ज्यादा पुरानी है।

मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है जिसके चलते पुरातत्व विभाग के भी कर्मचारी मंदिर में तैनात रहते हैं। पुरातत्व विभाग के कर्मचारी देवी शरण की माने तो उन्होंने बताया की मंदिर की प्रतिमा की कार्बन डेटिंग हुई है। जिससे भगवान की प्रतिमा 42 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी बताई गई है। वहीं मंदिर किसी जमाने मे जीर्णोद्धार कराया गया होगा। मगर वर्तमान में जो मंदिर है उसकी बनावट अट्ठारह सौ साल से ज्यादा है। वर्तमान में जो आकार मंदिर का है वही इतिहास बना हुआ है।

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वहीं उन्होंने मंदिर के आकार को रथ आकार बताया साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि देश मे तीन जगन्नाथ पुरी है। जिसमे से एक बेहटा-बुजुर्ग गाँव मे स्थित है। भगवान जगन्नाथ मंदिर भक्तों का एक अलग ही जुड़ाव है मंदिर के गुंबद पर लगा मानसून पत्थर किसानों के लिए सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है।

मंदिर के गुंबद पर लगा पत्थर मानसून आने के 15 दिन पहले ही बारिश के अनुमान को बता देता है मंदिर के शीर्ष से टपकने वाली बूंदे बारिश के संकेत को भी बता देती है। देशभर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।

।इस चमत्कारी मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के ठीक ऊपर बने गुंबद के शीर्ष पर एक पत्थर लगा हुआ है जिसे मानसून पत्थर का नाम दिया जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक बारिश और मानसून आने से 15 दिन पहले ही मंदिर के गुंबद पर पानी की बूंदे अपने आप आ जाती हैं और बारिश से पूर्व ही मंदिर के गर्भ गृह में पानी भी टपकने लगता है।

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 जिसे देखने के लिए आसपास के ग्रामीण भी मंदिर में पहुंचकर बारिश की स्थिति का जायजा लेते हैं और मंदिर के मुताबिक ही मिले बारिश के अनुमान को देखते हुए खेती करते हैं। मंदिर के पुजारी ने अनुसार मंदिर सदियों वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। कई बार इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है, मगर वर्तमान की स्थिति 4200 वर्षो से भी ज्यादा पुरानी है।

मंदिर के गुंबद पर लगा मानसून पत्थर किसानों के लिए सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है। मंदिर के गुंबद पर लगा पत्थर मानसून आने के 15 दिन पहले ही बारिश के अनुमान को बता देता है

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