वाराणसी : पर्यटकों बिन सूनी रही काशी , 500 करोड़ का लगा झटका

वाराणसी: काशी के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार तमाम कवायदें कर रही हैं. काशी को नई-नई सौगातें भी दी जा रही हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दंश ने काशी के पर्यटन को खासा प्रभावित किया है.

इतना ही नहीं इस बार सावन माह के दौरान काशी में उम्मीद से बेहद कम पर्यटक पहुंचे, जिससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है. अनुमान के मुताबिक, कोरोना काल में एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहले ही यहां के पर्यटन को हो चुका था.

अब सावन माह में पर्यटकों की कमी ने नुकसान को और बढ़ा दिया है. ऐसे में पर्यटन की कमर पूरी तरह टूट चुकी है और इससे जुड़े लोग प्रभावित हुए हैं.कोरोना काल में सबसे अधिक नुकसान पर्यटन उद्योग को हुआ है.

इस नुकसान से देश की पर्यटन नगरी में शुमार और सांस्कृतिक राजधानी कहा जाने वाला वाराणसी भी अछूता नहीं है. यहां, अगर हालात न सुधरे तो हजारों करोड़ का नुकसान और उठाना पड़ सकता है, लिहाजा अब पर्यटन उद्यमी किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

दरअसल, देश में कोरोना की शुरूआत और लॉकडाउन के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें  कभी बंद हुईं तो कभी चालू हुईं, जिसका सबसे ज्यादा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ा. देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले पर्यटन नगरी में वाराणसी का नाम भी शुमार है, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अनलॉक  में पर्यटन उद्योग लगभग ठप पड़ा हुआ है.

पर्यटन से जुड़े हुए कारोबारी अभिषेक सिंह बताते हैं कि पर्यटन के गिने-चुने कुछ सीजन होते हैं, जब टूरिस्ट काशी विजिट करते हैं. काशी महादेव  की नगरी है तो यहां पर पर्यटक बाबा विश्वनाथ पर आस्था और यहां की खूबसूरती को निहारने के लिए भी आते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लगी पाबंदियों ने टूरिस्टों के आने पर रोक लगा दी.

इससे पर्यटन बेहद प्रभावित हुआ. उन्होंने बताया कि पहले टूरिस्ट आने वाले थे, लेकिन प्रशासन की मनाही पर लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसल करा दी. इस कारण समस्याओं का आलम ऐसा है कि कई लोगों को अपनी गाड़ियां तक सेल आउट करनी पड़ रही हैं, ताकि वह अपने और अपने परिवार का गुजारा कर सकें.

टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता बताते हैं कि बनारस में यदि कोई यात्री आता है तो उसका संबंध सिर्फ घूमने से नहीं होता, बल्कि यहां के कारोबार से भी होता है. सावन में काशी कावड़ यात्री आते हैं.

उनसे यहां आने से पर्यटन क्षेत्र और व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी फायदा मिलता है. पर्यटक काशी आकर यहां की साड़ियां मशहूर चीजों की खरीदारी करते हैं, जिससे कारोबारियों को भी लाभ होता है.

काशी में सावन की खूबसूरती और कावड़ यात्रा को देखने के लिए देश-विदेश के लोग भी आते हैं, लेकिन इस बार कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित होने के कारण न ही घरेलू पर्यटक आए न ही विदेशी, जिसके कारण इस अवधि में काशी के पर्यटन को करीब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

पिछली बार कोरोना की पहली लहर में लगभग 1000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पर्यटन विभाग झेल चुका था. ऐसे में फिर से नुकसान कमर तोड़ने जैसा है.

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