यूपी: डीएम सुहास एल वाई फाइनल में; गोल्ड की लगाई आस, मनीष नरवाल को सोना, सिंहराज अधाना को सिल्वर मेडल

लखनऊ: टोक्यो पैरालिंपिक में 11 वें दिन भारत ने शूटिंग में एसएच-1 कैटेगिरी के 50 मीटर एयर पिस्टल में मनीष नरवाल ने गोल्ड और सिंहराज अधाना ने सिल्वर मेडल जीत लिया है. बैडमिंटन में एसएल-4 में नोएडा के डीएम सुहास यतिराज ने भी फाइनल में पहुंच कर भारत के लिए आज का दूसरा मेडल पक्का किया.

इससे पहले प्रमोद भगत ने एसएल थ्री में भारत के लिए कम से कम सिल्वर मेडल पक्का कर लिया. कर्नाटक के छोटे से शहर शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई (Suhas LY) ने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है. जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से IAS नहीं बनना चाहते थे.

वो बचपन से ही खेल के प्रति बेहद दिलचस्पी रखते थे. इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला. पैर पूरी तरह फिट नहीं था, ऐसे में समाज के ताने उन्हें सुनने को मिलते, लेकिन पिता और परिवार चट्टान की तरह उन तानों के सामने खड़े रहा और कभी भी सुहास का हौंसला नहीं टूटने दिया.

सुहास के पिता उन्हें सामान्य बच्चों की तरह देखते थे. सुहास का क्रिकेट प्रेम उनके पिता की ही देन है. परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की. पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, ऐसे में सुहास की पढ़ाई शहर-शहर घूमकर होती रही.

सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजिनियरिंग पूरी की. साल 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे. सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था, पिता की कमी खलती रही.

उनका जाना सुहास के लिए बड़ा झटका था. इसी बीच सुहास ने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है. फिर क्या था सब छोड़छाड़ कर उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की.

UPSC की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई. फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने. सुहास बड़े अधिकारी बन चुके थे, लेकिन वो इतने पर ही नहीं रुके.

जिस खेल को वो पहले शौक के तौर पर खेलते अब धीरे-धीरे उनके लिए जरूरत बन गया था. सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैंडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो फिर उन्होंने इस प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया. 2016 में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया.

चाइना में खेले गए बैंडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास अपना पहला मैच हार गए, लेकिन इस हार के साथ ही उन्हें जीत का फॉर्मूला भी मिल गया और उसके बाद जीत के साथ ये सफर अभी तक लगातार जारी है.

पैरालंपिक की शुरुआत शुरुआत 24 अगस्त से हो रही है और ये 5 सितंबर तक चलेगा. भारत के अभियान की शुरुआत 27 अगस्त को होगी. उस दिन तीरंदाजी में भारतीय पुरुष और महिला खिलाड़ी का मैच है.

सुहास का कहना है कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी प्रशासनिक सेवा की है. सुहास को काम के बाद रात को जो टाइम मिलता उससे बैडमिंटन की प्रैक्टिस करते हैं. सुहास हर रोज करीब 3 से 4 घंटे प्रैक्टिस भी कर रहे हैं.

 

सुहास एल वाई (Noida DM Suhas LY) देश के पहले ऐसे आईएएस अफसर (IAS Officer) होंगे, जो टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics 2021) में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं. वह साल 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं.

यूपी के गौतमबुद्धनगर के डीएम सुहास एल वाई (Noida DM Suhas LY) देश के पहले ऐसे आईएएस अफसर (IAS Officer) होंगे, जो टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics 2021) में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं. वह साल 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं. साथ ही दुनिया के दूसरे नंबर के पैरा बैडमिंटन प्लेयर भी हैं.

सुहास एल वाई कहते हैं मुश्किलों से सीख कर ही यहां तक आया हूं, उम्मीद करता हूं आगे का सफर अच्छा हो, हम हार से जीतने की राह निकालें तो अच्छा होगा. इससे अगली बार के लिए आपको हौसला मिलता है. फिलहाल पैरालंपिक के लिए मैंने पूरी मेहनत की है.

मनीष ने फानइनल में 209 का स्कोर किया, जबकि सिंहराज ने 207 स्कोर का सिल्वर मेडल जीता. इससे पहले अधाना क्वॉलिफिकेशन राउंड में 536 अंकों के साथ चौथे स्थान पर थे, जबकि नरवाल 533 अंकों के साथ सातवें स्थान पर थे. अधाना 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं.

प्रमोद ने सेमीफाइनल में जापान के फुजिहारा डाइसुके को 21-11, 21-16 से हराकर फाइनल में जगह बनाई. वहीं सुहास ने इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 21-9, 21-15 से हराया. इसके साथ ही टोक्यो में भारत के 17 मेडल हो जाएंगे। सुहास नोएडा के DM हैं. इससे पहले भी वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीत चुके

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