भारत बनाम पाकिस्तान, एशिया कप 2022: कही सट्टेबाजी की वजह से तो नहीं हारा भारत –
भारत बनाम पाकिस्तान, एशिया कप 2022 सुपर 4 हाइलाइट्स:
पाकिस्तान 2022 एशिया कप में दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच संभावित तीन मैचों के दूसरे मैच में भारत को वापस पाने के लिए एक असाधारण पीछा करने में सफल रहा। विराट कोहली की 44 गेंदों में 60 रनों की पारी और अंत में फखर जमान की दो मिसफील्ड ने भारत को 181/7 पर पहुंचा दिया। पहले हाफ के पहले हाफ में पाकिस्तान मजबूती से बैकफुट पर था, भारत ने कप्तान बाबर आजम और फखर को आउट कर दिया, इससे पहले कि वे बहुत अधिक नुकसान कर पाते। हालांकि, मोहम्मद नवाज और मोहम्मद रिजवान ने महज 41 गेंदों में 73 रन की साझेदारी कर खेल का रुख बदल दिया। अर्शदीप सिंह द्वारा उनके ऊपर से एक डोली गिराने के बाद आसिफ अली पाकिस्तान को लगभग घर ले गए। हालाँकि, अर्शदीप ने उन्हें केवल दो गेंद शेष रहते आउट कर दिया और पाकिस्तान को जीत के लिए अभी भी दो रन चाहिए। इसके बाद पाकिस्तान ने जोरदार दौड़ लगाई और अगली गेंद पर दो रन लेकर मैच को पांच विकेट से जीत लिया।
कुछ समय पहले एक इंग्लिश नेशनल डेली में आईपीएल फिक्सिंग की जांच करने वाली जस्टिस मुकुल मुद्गल की टीम के एक सदस्य और पुलिस अफसर बीबी मिश्रा ने दावा किया कि वर्ष 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का एक सीनियर स्टार खिलाड़ी लगातार बुकीज के संपर्क में रहता था. दोनों की बातचीत को टेप भी किया गया, लेकिन वॉयस सैंपल नहीं होने से जांच आगे नहीं बढ़ पाई. इस बात ने पांच साल पहले आईपीएल की स्पॉट फिक्सिंग मामले को ताजा कर दिया.
क्या है स्पाट फिक्सिंग?
पहले पूरे के पूरे मैच यानी नतीजे फिक्स किए जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब स्पाट और फैंसी फिक्सिंग से ही काम चल जाता है. पूर्वी दिल्ली के एक बुकी के अनुसार, अब मैच फिक्स करने की जरूरत नहीं, स्पॉट फिक्सिंग से ही भरपूर कमाई हो जाती है. स्पॉट फिक्सिंग का अर्थ है मैच के किसी खास हिस्से को फिक्स कर देना. वहीं पंजाब में फैंसी फिक्सिंग काफी लोकप्रिय है. इसमें मैच की एक-एक गेंद पर कितने रन बनेंगे, कौन सा बैट्समैन कितने रन बनाएगा, पूरी पारी में कितने रन बनेंगे, इन सब पर सट्टा लगता है.
कैसे चलता है सट्टेबाजी का धंधा
संचार के नए साधनों के आने के साथ ही सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग इतना बड़ा धंधा हो गया है कि सोचा नहीं जा सकता. इसका नेटवर्क बुहत ही व्यापक है. कराची, जोहानसबर्ग और लंदन जैसे शहर इसके प्रमुख गढ़ हैं. 80 और 90 के दशक में जब वन-डे क्रिकेट के आयोजन शारजाह में शुरू हुए तो इसे और पंख लगे.
भारत में क्रिकेट मैचों के दौरान बड़े पैमाने पर सट्टा लगता है
रेट कैसे तय होते हैं
भारत में क्रिकेट की जो सट्टेबाजी होती है, वो अवैध है. इसके रेट दुबई या पाकिस्तान में तय होते हैं. वहां से रेट की जानकारी भारतीय उपमहाद्वीप के सटोरियों और अन्य जगहों पर धंधे से जुड़े लोगों को पहुंचाई जाती है. ये रेट सबसे पहले मुंबई पहुंचते हैं. फिर वहां से बड़े बुकिज़ और फिर वहां से छोटे बुकिज़ के पास पहुंचते हैं. अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80-83 आता है, तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाने पर एक लाख रुपए मिलेंगे. दूसरी टीम पर 83 हजार लगाने पर एक लाख जीत सकते हैं. लेकिन जिस टीम पर सट्टा लगाया है, वो अगर हार गई तो लगाया गया पूरा पैसा डूब जाएगा. मैच आगे बढ़ने के साथ टीमों के रेट भी बदलते रहते हैं.
कैसे चलता है ये ‘खेल’
सट्टे पर पैसे लगाने वाले को पंटर कहते हैं. वहीं सट्टे के स्थानीय संचालक को बुकी कहा जाता है. सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है. सट्टा लगाने वाले पंटर दो शब्दों खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं. यानी किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं. ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं.
क्रिकेट सट्टेबाजी में हर पल का हाल जानने के लिए एक उपकरण इस्तेमाल किया जाता है, जिसे डिब्बा कहते हैं
क्या होता है सट्टेबाजी का डिब्बा
जिस इंस्ट्रूमेंट में ये रेट आते हैं, उसे सट्टेबाजी की दुनिया में डिब्बा कहा जाता है. ये दरअसल संचार का ही एक उपकरण होता है. जो टेलीफोन लाइन या मोबाइल के जरिए चलता है. इस डिब्बे पर सट्टेबाजी के रेट आते हैं. पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में लाइन का ही करोड़ों, अरबों का व्यवसाय है. ये डिब्बा आमतौर पर सटोरियों और मुख्य सटोरियों के पास होता है लेकिन पंटर भी ये कनेक्शन ले सकते हैं. इसके बदले उन्हें इसका कनेक्शन और किराया देना होता है. डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर से होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है.
क्या होता रेट का कोड वर्ड
मैच की पहली गेंद से लेकर टीम की जीत तक भाव चढ़ते-उतरते हैं. एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है. जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं. एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है. अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को ‘मैंने चवन्नी खा ली कहना होता है.
कहां तय होते हैं कोड वर्ड
करोड़ों के सट्टे में बुकीज कोड वर्ड के जरिए हर गेंद पर दांव चलते हैं. हैरानी की बात है कि ये कोड नेम हिंदुस्तान से नहीं बल्कि जहां से सट्टे की लाइन शुरू होती है, वहीं इन कोड नेम का नामकरण किया जाता है. जी हां, ये कोड दुबई और कराची में रखे जाते हैं. कोड वर्ड का ये सारा खेल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से बचने के लिए किया जाता है.
हर मैच में सट्टे का भाव टीमों के रिकॉर्ड, विकेट, मौसम कई पहलुओं को ध्यान में रखकर तय होते हैं
आईपीएल के हर मैच पर कितनी सट्टेबाजी
चार साल पहले माना गया था कि भारत में हर बड़े क्रिकेट मैच पर करीब तीन बिलियन डालर (तीन सौ करोड़ रुपए) का कारोबार होता है. ऐसा ही हाल पाकिस्तान का है. आईपीएल जैसी लीग अपने चरित्र और खेल के फार्मेट के कारण सट्टेबाजों और फिक्सरों के लिए मुफीद बन चुका है. अंदाज है कि हर आईपीएल मैच पर करीब डेढ़ बिलियन डालर (डेढ़ सौ करोड़ रुपए) की सट्टेबाजी होती है. वहीं पाकिस्तान की पाकिस्तान सुपर लीग में भी सट्टेबाजों का जाल कसा हुआ बताया जा रहा है.
सट्टे की अनिवार्य शर्तें
क्रिकेट मैच में सट्टा आंख बंद करके नहीं लगाया जाता. बुकीज और पंटर दोनों भाव लगाने व खोलने से पहले यह भी देखते हैं कि मैच किन दो टीमों के बीच खेला जाएगा. यही नहीं मैच किस जगह खेला जाएगा, पिच किस प्रकार की होगी, वहां का तापमान कैसा होगा तथा टीम में कौन-कौन खिलाड़ी होंगे. ये सब जानने के बाद किसी मैच में सट्टा भाव तय होता है.
फिक्सिंग से अलग है सट्टेबाजी
कई लोगों को लगता है कि सट्टेबाजी का मैच फिक्सिंग से गहरा ताल्लुक होता है, लेकिन सट्टेबाजी व फिक्सिंग दो अलग बातें हैं.
खेलों में अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग का कारोबार
करीब पांच साल पहले सीबीआई के एक सेमिनार में वो तीन नाम उजागर किए गए थे. जो एशिया में बैठकर पूरी दुनिया में खेलों की अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग को अंजाम देते हैं. ये वो लोग हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा धंधा खड़ा किया. ये इतने सुव्यवस्थित तरीके से चलता है कि सोचा भी नहीं सकते. खेलों में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा कारोबार भी संगठित और संरचनात्मक ढंग से एशिया में जड़ें जमा चुका है. वर्ष 2014 में खेलों में सट्टेबाजी 38 लाख डॉलर की मानी गई थी.
ये तीन नाम हैं खेलों की सट्टेबाजी के दिग्गज
इस धंधे के एशिया के बड़े माफियाओं में जिस तीन चार लोगों का नाम उभरता है- उनके नाम पेरूमल, सेंतिया और कुरुसामी हैं. पुलिस, इंटरपोल उन्हें तलाश रही है. लेकिन वो उनके आसपास भी नहीं पहुंच पातीं. खेलों का अवैध फिक्सिंग औऱ सट्टेबाजी का धंधा उतना छोटा और स्थानीय नहीं है, जैसा हम सोचते हैं बल्कि कहीं ज्यादा बड़ा और संगठित है.
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