फार्मासिस्ट फाउंडेशन द्वारा 4 सूत्रीय माँगो को लेकर लखनऊ इको गार्डेन मे दिया धरना-
फार्मासिस्ट फाउंडेशन द्वारा 4 सूत्रीय माँगो को लेकर लखनऊ इको गार्डेन मे आयोजित धरने मे क D. G. हेल्थ से 1 बजे वार्ता का प्रस्ताव शासन की तरफ से दिया गया है , फार्मासिस्ट को उम्मीद है की वार्ता सफल रहेगी और फार्मासिस्ट संबर्ग की बेहतरी हेतु सरकार पहल करेगी.
फार्मासिस्ट की 4 माँगे –
1. उपकेंद्र, वार्ड, डॉट्स सेंटर पर पद सृजन करते हुए तत्काल फार्मासिस्ट को नियुक्ति दी जाए।
2. फार्मासिस्ट कैडर का वर्तमान मानक के हिसाब से पुनर्गठन किया जाए
3 .माइनर एलिमेंट में फार्मासिस्ट को प्रिस्क्रिप्शन का अधिकार दिया जाए।
4 . पीसीआई में लंबित फार्मासिस्ट साथियो के लाइसेंस तत्काल जारी किए जाए तथा UP पीसीआई फार्मासिस्ट का पंजीकरण कर 3 माह में सर्टिफिकेट तथा ग्रीन बुक देना सुनिश्चित करे।
धरने का असर पी सी आई पर –
वही पंजीकरण में देरी होने की समस्या को शशिभूषण सिंह की सीधी चेतावनी के बाद पी सी आई उत्तर प्रदेश द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया जाना सुनिश्चित कर दिया गया है . वही धरने की खबर पाकर तुरंत ही ग्रीन कार्ड PCI उत्तरप्रदेश ने सभी फार्मासिस्टो को स्पीड पोस्ट से भेज दिया है .
धरने का असर शाशन पर –
जहा पी सी आई पर धरने का व्यापक रूप से असर हुआ है वही शासन पर तो फार्मासिस्ट के धरने का कोई असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है उल्लेखनीय है कि इस समय उत्तर प्रदेश में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और कई चरणों का चुनाव भी बाकी है ऐसे में देखना यह होगा कि फार्मासिस्ट के धरने से क्या शासन पर कोई प्रभाव पड़ता है.
अथवा शासन यूं ही कान में तेल डाल कर के बैठा रहता है जहां कई फार्मासिस्ट चुनाव की रणभेरी में अपने अपने योगदान को एक अभ्यर्थी के रूप में भी प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं कई फार्मासिस्ट धरने पर भी बैठे हैं ऐसे में देखना यह होगा कि क्या सरकार को कुंभकरण की नींद से जगाने में फार्मासिस्ट सफल होते हैं या फिर यूं ही सिलसिला चलता रहेगा.
क्या कहते है भारत के सबसे बड़े संगठन के प्रमुख –
अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशि भूषण सिंह से जब हमारे चीफ एडिटर ने बात की तो पता चला कि शशि भूषण सिंह स्वयं चिंतित हैं कि किस तरह से फार्मासिस्ट को रोजगार दिलाया जा सके और उनको आगे बढ़ाया जा सके.
शशि भूषण सिंह ने बताया कि जहां वार्ड में फार्मासिस्ट की नियुक्ति सरकार को करनी चाहिए क्योंकि अवैध रूप से नर्स इंजेक्शन लगाती हैं जिन्होंने कोई फार्मेसी की पढ़ाई नहीं कर रखी है ऐसे में यदि दवा रिएक्शन हो जाती है तो मरीजों के स्वास्थ्य के साथ गंभीर समस्याएं आती हैं .
वहीं कई बार यह देखा गया है कि कंट्राइंडिकेटेड ड्रग्स डॉक्टर prescribe कर देते हैं और नर्स मरीज को लगा भी देते हैं , जिससे मरीजों को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा है और तो और कई डॉक्टर 1 दिन या 2 दिन एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगवा करके और फिर टेबलेट पर स्विच ओवर कर देते हैं इससे ड्रग रेजिस्टेंस होने का खतरा बढ़ता चला जा रहा है.
ऐसी में शशि भूषण सिंह का कहना है कि फार्मासिस्ट की जायज मांगों को सरकार को मान लेना चाहिए और यह समझ जाना चाहिए कि दवा का असली विशेषज्ञ फार्मासिस्ट ही है.
जहां तक हमारे संवाददाता ने उच्चाधिकारियों से बात की तो उन्हें यही नहीं पता है कि फार्मासिस्ट होता क्या है उसका कार्य क्या है उनको सिर्फ यही पता है कि फार्मासिस्ट दवाओं का वितरण करता है.
जानकारी के अभाव के कारण फार्मासिस्ट के संबंध में कोई भी नीति सरकार बना नहीं पाती है ऐसे में अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के कई पदाधिकारी चुनाव भी लड़ रहे हैं जिससे कि वह अपनी बात सीधे तौर पर सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर सकें और जन जागरूकता के माध्यम से जनता के स्वास्थ्य को अच्छा कर सकें.