प्रयागराज में खून की जरूरत :देवदूत वानर सेना करेगी मदद

Need Of Blood In Prayagraj Angel Monkey Army Will Help
Need of blood in Prayagraj Angel Monkey Army will help

Prayagraj News (Reliable Media)बानर सेना की शुरुआत से पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एक समूह था जिसमें सभी वरिष्ठ जूनियर अपने विश्वविद्यालय के अनुभव को साझा करते हुए छात्रावास जीवन और विश्वविद्यालय जीवन की दिलचस्प और मजेदार कहानियाँ लिखते थे। कई विश्विद्यालय के पुराने नए छात्र उनके सोशल मीडिया के पेज से जुड़ गए.

उनकी लिखी कहानियाँ सभी बड़े चाव से पढ़ते थे। धीरे-धीरे यह सिलसिला बढ़ता गया। उसी समय किसी अराजक तत्व ने एक गरीब व्यक्ति की दुकान जला दी या वह अपने आप जल गयी. तड़पकर उठा… उस दिन गुरु ने ग्रुप पर लिखा कि एक गरीब आदमी की दुकान जल गई है, अगर हम सब उसकी मदद करें तो उसकी दुकान फिर से बन सकती है ताकि वह अपनी रोजी रोटी कमा सके।

फिर क्या था, दो-तीन दिन के अंदर ही करीब डेढ़ लाख रुपये इकट्ठा हो गये और उनकी दुकान फिर से स्थापित हो गयी. ये वही दौर था जब दुनिया पहली बार कोरोना से परिचित हो रही थी. ऐसा लग रहा था कि छोटी-छोटी मदद का सिलसिला चल रहा है, दूसरी तरफ करोना की भयानक त्रासदी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया था, करोना की पहली लहर ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था.महामारी दौर में वानर सेना ने लोगो की मदद खाने का सामान,रुपये पैसे से लेकर आने जाने की व्यस्था करके की।

जिंदाबाद देवदूत वानर राघव सिंह

इस देवदूत को देखिए किसी को जाकर ब्लड भी दे दिया, और वानर सेना के खाते में पैसा भी दे दिया।
सबसे मजेदार बात फोन करने वाले ने कहा कि आपने वानर सेना का गूगल फार्म भरा था खून दे दीजिए, जबकि वानर सेना के मुख्यालय से ऐसा कोई फोन नही गया था, फोन करने वाले कोई राकेश थे, लोग हमेशा जुगाड़ में रहते हैं लेकिन कोई बात नही रक्तदान महादान है, किसी की जान ही बचेगी।

ऐसे अनेको किस्से है जिनसे देवदूत वानर सेना की सोशल मीडिया पोस्ट पर भरे पड़े रहते है.

आप भी इस लिंक के माध्यम से देवदूत वानर सेना ज्वाइन कर सकते है.देवदूत वानर सेना ज्वाइन

देवदूत वानर सेना अजीत प्रताप सिंह

डूबने वालों को तिनका का सहारा चाहिए, यह कहावत हम सभी ने कभी न कभी जरूर सुनी होगी. आज आधुनिकता के इस दौर में अजीत प्रताप सिंह इस कहावत को सच कर रहे हैं. अजीत सिंह मरीजों की जान बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. अब तक अजीत सिंह 40 हजार से ज्‍यादा मरीजों की जान बचाने में सहयोग किया है. 

दरअसल, कोरोना काल में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के उपनिदेशक अजीत प्रताप सिंह ने देवदूत वानर सेना नाम से एक संस्‍था बनाई. अजीत सिंह ने इस संस्‍था के जरिए मरीजों की जान बचाने की मुहिम छेड़ी. अजीत‍ सिंह ने सोशल मीडिया के माध्‍यम से ब्लड डोनेशन, ऑक्सीजन, जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज सहित तमाम सुविधाओं को निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं. धीरे-धीरे इस संस्‍था से हजारों लोग जुड़ गए. वर्तमान में 10 हजार से ज्‍यादा देवदूत यानी वॉलेंटियर बन गए हैं.

वानर सेना के सरंक्षक अजीत प्रताप सिंह कहते हैं कि कोरोना काल में जब लोगों को बेड और ऑक्‍सीजन नहीं मिल पा रहा था, हर तरफ लोग परेशान थे. ऐसे में कुछ करने की इच्‍छा जाहिर हुई. उसी समय मन में ख्‍याल आया कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों को मदद मिल सके. इसके बाद सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म का इस्‍तेमाल कर लोगों को जोड़ा. यूपी ही नहीं अन्य राज्यों से भी लोग जुड़ते गए.

मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले अजीत सिंह की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है. वह ताराचंद छात्रावास में रहते थे. वहीं, पर रहकर अजीत सिंह ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी की. अजीत के इस काम से खुश होकर लोग उन्‍हें यूपी का सोनू सूद भी कह रहे हैं. अजीत सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया पर हमारा पेज है. जिस किसी जरूरतमंद को समस्या होती है वह हमें लिखता है और हमारी शत-प्रतिशत कोशिश रहती है कि हम उस समस्या का निदान कर पाए.

Need Of Blood In Prayagraj Angel Monkey Army

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विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व के देशों के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानव को स्वास्थ्य सम्बन्धी समझ विकसित कराने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्‍ल्‍यूएचओ का मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड के जिनेवा शहर में स्थित है। इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं।

वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।

भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन, मूल रूप से 23 जून 1851 को डब्ल्यूएचओ के पहले पूर्ववर्ती थे। 14 सम्मेलनों की एक शृंखला जो 1851 से 1938 तक चली, अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलनों ने कई बीमारियों का मुकाबला करने के लिए काम किया, उनमें से मुख्य हैजा, पीला बुखार, और [[बुबोनिक प्लेग 1892 में सातवें तक सम्मेलन काफी हद तक अप्रभावी थे; जब एक अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन जो हैजा से निपटा गया था पारित किया गया था।

पाँच साल बाद, प्लेग के लिए एक सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए गए थे।सम्मेलनों की सफलताओं के परिणामस्वरूप, पैन-अमेरिकन सेनेटरी ब्यूरो (१९०२), और ऑफिस इंटरनेशनल डी’हाइगने पब्लिकली (1907) जल्द ही स्थापित हो गए 1920 में जब [[लीग ऑफ नेशंस] का गठन किया गया, तो उन्होंने राष्ट्र संघ के स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने डब्ल्यूएचओ के गठन के लिए अन्य सभी स्वास्थ्य संगठनों को अवशोषित किया।.

अन्तरराष्ट्रीय संगठन पर 1988 के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भावेश पटेल, चीन गणराज्य के एक प्रतिनिधि ने नार्वे और ब्राजील के प्रतिनिधियों को एक इंटर्ना बनाने पर सम्मानित किया। इस विषय पर एक प्रस्ताव पारित करने में विफल रहने के बाद, अल्जीरिया हिस, सम्मेलन के महासचिव ने इस तरह के एक संगठन की स्थापना के लिए एक घोषणा का उपयोग करने की सिफारिश की। स्वेज़ और अन्य प्रतिनिधियों ने पैरवी की और स्वास्थ्य पर एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए एक घोषणा पारित की। “विश्व” शब्द के उपयोग ने, “अन्तरराष्ट्रीय” के बजाय, वास्तव में वैश्विक प्रकृति पर जोर दिया कि संगठन क्या हासिल करना चाहता था।  विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान पर 22 जुलाई 1946 को संयुक्त राष्ट्र के सभी 51 देशों और 10 अन्य देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इस प्रकार यह संयुक्त राष्ट्र की पहली विशिष्ट एजेंसी बन गई जिसके प्रत्येक सदस्य ने सदस्यता ली।[इसका संविधान औपचारिक रूप से पहली विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल 1948 को लागू हुआ, जब इसे 26 वें सदस्य राज्य द्वारा अनुमोदित किया गया था।

विश्व स्वास्थ्य सभा की पहली बैठk 25 जुलाई 194 having को समाप्त हुई, 1949 वर्ष के लिए साँचा:US $ (तब GB£ 1250000) का बजट प्राप्त हुआ। एंड्रीजा artampar विधानसभा के पहले अध्यक्ष थे, और जी। ब्रॉक चिशोल्म को डब्ल्यूएचओ का महानिदेशक नियुक्त किया गया था, जिसने नियोजन चरणों के दौरान कार्यकारी सचिव के रूप में कार्य किया था। इसकी पहली प्राथमिकताएँ मलेरिया, तपेदिक और यौन संचारित संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने और मातृ और बाल स्वास्थ्य, पोषण को नियन्त्रित करने के लिए थीं।  इसका पहला विधायी कार्य बीमारी के प्रसार और रुग्णता पर सटीक आँकड़ों के संकलन से सम्बन्धित था। विश्व स्वास्थ्य संगठन का लोगो चिकित्सा के लिए प्रतीक के रूप में रॉड ऑफ एसक्लियस की सुविधा देता है।

Source Wikipedia

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