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वॉल मार्ट-

Wall Mart-

वॉलमार्ट मौजूदा समय के दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी हैं. इसकी सफलता की कहानी किसी परिकथा से कम नहीं हैं. Walmart एक अमेरिकी कंपनी हैं जो कि रिटेल सामान के विक्रेता हैं जो कि डिस्काउंट स्टोर, किराना और ऑनलाइन

स्टोर चलाती हैं. वॉलमार्ट की स्थापना 1962 में अमेरिकी नागरिक सैम वॉल्टन ने रखी थी. लेकिन उनकी इस कहानी की शुरुआत 1945 से ही शुरू हो गयी थी.  साल 1945 में सैम वॉल्टन ने एक स्टोर बेन फ्रेंकलिन स्टोर ख़रीदा. जहाँ पर

वह हर सामान दूसरी दुकानों की तुलना में कम भाव में बेचा करते थे. देखते ही देखते सैम का यह स्टोर अन्य स्टोरों की तुलना में तेजी से आगे बढने लग गया. इसके साथ ही उनका मुनाफा भी ज्यादा हो गया. सैम के इसी स्टोर को

वॉलमार्ट की नीव कहा जाता हैं. क्योंकि इस स्टोर के बाद से ही सैम ने वॉलमार्ट का सपना देखना शुरू किया. आज हम आपको दुनिया की इसी सबसे बड़ी कंपनी के बारे में बताने जा रहे हैं. कैसे इसने साल दर साल, एक-एक कदम चलकर

व्यवसाय की दुनिया में इतिहास रच दिया. वॉलमार्ट अमेरिका की ऐसी कंपनी है जिसका रेवेन्यू प्राइवेट कंपनियों में दुनिया में सबसे ज्यादा है. उसका कुल रेवेन्यू 31.33 लाख करोड़ (482 अरब डॉलर) है और रोज की कमाई 8600 करोड़

रुपए.

वॉलमार्ट के मालिक और संस्थापन सैम वालटन एक जमाने में अमेरिकी डिपार्टमेंटल स्टोर जेसी पैनी के कर्मचारी थे. फिर उन्होंने वो नौकरी छोड़कर अपना एक स्टोर खोला. ये शुरुआत उन्होंने 1962 में की थी. शुरुआती

बरस में वॉलमार्ट को घाटा हुआ, क्योंकि सैम ने स्टोर को किराए पर लिया था और वो सामान को बहुत कम दरों पर बेचते थे. लेकिन बाद में उन्होंने कई कंपनियों से सीधे संपर्क कर सामान सस्ते में लेना शुरू किया. इससे उनके सामानों

की बिक्री तो बढ़ी ही और मुनाफा भी होने लगा. इसके बाद भी शुरुआत साल में उन्हें कई झटके लगे. फिर देखते ही देखते वाल्टन ने एक ही शहर में कई डिपार्टमेंटल स्टोर खोल लिए. उनका फंडा यही था कि कंपनी से सीधे सस्ते में

सामान खरीदो और इसे सबसे कम कीमत में बाजार में बेचो. 1969 में उन्होंने वॉलमार्ट के नाम से नई कंपनी स्थापित की. उसमें एक क्लब चेन भी शामिल थी. अब दुनियाभर में वॉलमार्ट के 11,718 स्टोर्स हैं साथ ही 28 देशों में अपने

क्लबों की चेन भी. वह दुनिया की सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाली अकेली प्राइवेट कंपनी है. उसके पास कुल 23 लाख कर्मचारी हैं. अब भी इस कंपनी का स्वामित्व वाल्टन परिवार के पास है. उनके पास इस कंपनी की 50 फीसदी की

हिस्सेदारी है. ये दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी है. साथ ही अमेरिका के सबसे बड़े रिटेलर भी. वॉलमार्ट ने अमेरिका से बाहर जब ब्रिटेन, दक्षिण अमेरिका और चीन में अपने स्टोर खोले तो ये जबरदस्त तौर पर सफल रहे जबकि कंपनी

को दक्षिण कोरिया और जर्मनी बुरी तरह विफलता रहे. वॉलमार्ट भारत में वर्ष 2006 से है. भारत में उन्होंने भारती एंटरप्राइजेज के साथ गठबंधन करके रिटेल मार्केट में प्रवेश की कोशिश की लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली.

अब वो कई शहरों में ट्रेडर्स के साथ थोक सामानों की बिक्री के स्टोर चलाते हैं, उसमें भी उन्हें वॉलमार्ट के नाम के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिल पाई. खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर पूरे देशभर में

बहस चल रही है. इस अकेले मुद्दे ने संसद के कामों को पिछले कई महीनों से बाधित कर रखा है. एक वर्ग ऐसा है जो इसके नुकसान को गिना रहा है तो दूसरा वर्ग इसे देश हित में बता रहा है. इस मुद्दे पर बुद्धिजीवी वर्ग के भी अलग-अलग

तर्क हैं. खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में जिस अकेली कंपनी की सबसे ज्यादा चर्चा की जा रही है वह रोजमर्रा के सामान बेचने वाली दुनिया की सबसे बड़ी अमरीकी कंपनी वालमार्ट है.

जो लोग एफडीआई को देश के हित में देख रहे हैं उनका मानना है कि वालमार्ट के आने से भारत में अरबों रुपये का निवेश होगा, हजारों-लाखों बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलेगा, किसानों का हर दुख-दर्द दूर होगा, देश में खुशहाली आएगी आदि. क्या सच में ही ऐसा होगा. क्या यह

अकेली कंपनी लाखों लोगों की उम्मीद बन पाएगी. कहना तो मुश्किल है लेकिन कुछ ऐसे तर्क हैं जो यह बताते हैं कि फुटकर व्यापार में अपना दबदबा बना चुकी इस कंपनी के अपने ही विवाद हैं. विश्व के कई मजदूर संघ और पर्यावरण

समूह इस कंपनी की नीतियों और कार्यप्रणाली का विरोध करते आए हैं. कंपनी के ऊपर कम मजदूरी देने और अपर्याप्त हेल्थ केयर के भी आरोप हैं. जिस देश में भी इस कंपनी के स्टोर खोलने की योजना बनाई जा रही है वहां पर पर्यावरण

संबंधी समस्या पैदा हुई है. कई जगह लोगों ने अपने विरोध से इसके निर्माण कार्य को भी रुकवाया है. वालमार्ट का आधा से अधिक माल चाइना से आयात किया जाता है. जिस तरह से ग्राहकों को बेचने के लिए वालमार्ट उत्पादों का

चयन करता है उस पर भी लगातार कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. वालमार्ट के ऊपर मैक्सिको, ब्राजील और चीन में कारोबार बढ़ाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने के कथित आरोप भी हैं.

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