महंत की मौत की साजिश रचने वाला तीसरा कौन

एडिटर एल एन सिंह (प्रयागराज )

अहम साक्ष्य को नजरअंदाज कर महंत नरेंद्र गिरि के मौत का खुलासा करने में किसके दबाव में उतारू है पुलिस दो दिन पूर्व महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद चारों ओर गम का माहौल व्याप्त हो गया महंत की मौत के मामले में आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप में पुलिस ने उनके दो शिष्य को हरिद्वार से गिरफ्तार कर आनन-फानन में जेल दिया।

जबकि जिन शिष्यों को पुलिस ने जेल भेजा है वह घटना के वक्त प्रयागराज में मौजूद नही थे।उन्हें हरिद्वार से पुलिस ने गिरफ्तार किया है पकड़े गए शिष्य इस घटना को साजिश बताते हुए महंत की आत्महत्या पर बार बार सवाल उठा रहे थे लेकिन पकड़ा गए शिष्य की बातों पर परीक्षण करने के बजाए उसे दबाने का भरसक प्रयास पुलिस कर रही है.

आखिर सबकुछ जानते हुए पुलिस ऐसा क्यों कर रही है पुलिस के ऊपर किसका दबाव है जिससे महंत नरेंद्र गिरि की मौत की सच्चाई सामने लाने से पुलिस भय खा रही है मौके पर तमाम महत्वपूर्ण साक्ष्य को पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया ।

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के खुलासे में पुलिस इतनी उतावली क्यों है महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद तमाम अहम सवाल छूट गए हैं मौके की परिस्थिति जन्य साक्ष्य नरेंद्र गिरि की मौत को आत्महत्या मानने से इंकार कर रहे हैं सूत्र बताते हैं कि नरेंद्र गिरि की मौत को आत्महत्या मानने से पोस्टमार्टम ने भी इंकार कर दिया है.

लेकिन फिर भी कथित आत्महत्या पत्र को बिना जांच पड़ताल के पूर्ण आधार मानकर पुलिस महंत की मौत के प्रकरण पर कार्यवाही कर रही है कथित आत्महत्या पत्र के हैंडराइटिंग और हस्ताक्षर को महंत नरेंद्र गिरि के हस्ताक्षर हैंडराइटिंग से पुलिस ने मिलाने का आखिर प्रयास क्यो नहीं किया .

आखिर इस प्रकरण में पुलिस जल्दबाजी में खुलासा कर क्या छिपाना चाह रही है महंत नरेंद्र गिरि की मौत के जिम्मेदारों को बचा कर गलत साक्ष्य के आधार पर निर्दोषों को जेल भेजने के मामले में बिना सबूत जेल गए व्यक्ति भी अदालत से बरी हो जाएंगे और महंत की मौत के असली गुनाहगार का नाम भी सार्वजनिक होने से रह जाएगा।

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद जिस वक्त मौके पर पुलिस पहुंची है उस वक्त मौके पर आश्रम के कुछ संत मौजूद थे नरेंद्र गिरि का शव जमीन पर पड़ा था उनके गले के नीचे रस्सी का एक टुकड़ा था रस्सी का दूसरा टुकड़ा पंखे के ऊपर चुल्ले से लटक रहा था रस्सी का तीसरा टुकड़ा लाश के बगल में रखी मेज पर रक्खा था अब सवाल उठता है कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या किया है.

तो उनकी मौत के बाद किसने और क्यो रस्सी का कई टुकड़ा किया है किसके पास इतना शातिर दिमाग है कि महंत की मौत होने के बाद दुःखी शरीर मे रस्सी के टुकड़े कर सबूत से छेड़छाड़ करने में कौन मशगूल होगा ।

इस घटना में मौके पर मिले रस्सी के कई टुकड़ा कुछ अन्य कहानी बयां कर रहा है महंत नरेंद्र गिरि के मौत में दूसरा अहम सवाल यह है कि जब घटनास्थल पर पुलिस पहुंची तो मौके पर कमरे की छत में लगा पंखा चल रहा था और जिस चुल्ले से महंत के आत्महत्या की कहानी गढ़ी जा रही हैं.

उसी चुल्ला में पंखे बांधा है यदि इस चुल्ले से महंत ने आत्महत्या की होती तो पंखा पहले से चलता हुआ ना मिला होता चलते पंखे से आत्महत्या किया जाना संभव नहीं है चलते पंखे के बीच चुल्ला से आत्महत्या किया जाएगा तो पंखे का पर टेड़ा हो जाएगा और पर टूट भी सकता है चलते पंखा से आत्महत्या किया जाना असंभव है .

पुलिस की यह कहानी भी महंत के कथित आत्महत्या को झूठा करार देती है चौथा सवाल यह है कि जब पुलिस मौके पर पहुंची तो कमरे का दरवाजा खुला था दरवाजा कहीं से टूटा नहीं है आखिर उनके शिष्यों का कहना है कि महंत ने दरवाजा बंद करके आत्महत्या किया है तो दरवाजा तोड़ने के निशान को देखने का पुलिस ने प्रयास क्यों नहीं किया है.

बिना दरवाजा टूटे दरवाजा टूटने की बात करने वाले उनके शिष्य को संदिग्ध मानकर पुलिस ने उनसे कड़ाई से पूछताछ क्यों नहीं शुरू की है चौथा सवाल यह है कि जिस आत्महत्या पत्र की बात बड़े दावे से पुलिस कर रही है वह पत्र ही सवालों के घेरे में है आश्रम के ही लोगों का कहना है.

कि महंत नरेंद्र गिरि को हस्ताक्षर करने में कई मिनट लग जाते थे फिर उनके द्वारा आत्महत्या पत्र कैसे लिखा गया है तमाम लोगों ने आत्महत्या पत्र पर भी गम्भीर सवाल उठाए हैं लेकिन पुलिस ने कथित आत्महत्या पत्र के हस्ताक्षर और हैंडराइटिंग मिलाने का प्रयास करने के बजाय आत्महत्या पत्र को ही सच्चाई मान कर आनन फानन में दो शिष्यों को हरिद्वार से गिरफ्तार कर शिष्यों को जेल भेज दिया है .

महंत नरेंद्र गिरि की मौत में पाँचवा सवाल यह उठता है कि घटनास्थल का फिंगरप्रिंट लेकर उसकी जांच रिपोर्ट आने का पुलिस ने इंतजार क्यों नहीं किया मौके के फिंगरप्रिंट पुलिस द्वारा उठाए गए होते तो महंत नरेंद्र गिरि के मौत के जिम्मेदारों के गिरेहबान तक पुलिस के हाथ पहुँच गए होते इतना ही नहीं महंत के आश्रम में सीसीटीवी कैमरा लगा होगा.

पुलिस ने सीसीटीवी कैमरा की फुटेज खंगालने का प्रयास क्यों नहीं किया उनकी मौत के कुछ देर पहले उनके कमरे में कौन पहुंचा सीसीटीवी कैमरा की पुलिस ने मदद ली होती तो नरेंद्र गिरि की मौत की सच्चाई आम जनता के सामने होती पुलिस की इस जल्दबाजी के चलते महंत नरेंद्र गिरि की मौत की हकीकत उजागर होने के बजाय दफन होती दिख रही है.

कही सोची समझी साजिश के तहत तीसरे शख्स ने महंत नरेंद्र गिरि को रास्ते से हटाते हुए आनंद गिरि को उनकी मौत के मामले में जेल भिजवाते हुए बड़ी साजिश तो नहीं रची है वह तीसरा शातिर शख्स कौन है जिसे महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद लाभ मिलता दिख रहा है।महंत की मौत की साजिश रचने वाला तीसरा कौन.

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