महंत नरेन्द्र गिरी की मौत प्रकरण : आत्महत्या-हत्या-साजिश

महंत नरेन्द्र गिरी की मौत प्रकरण : आत्महत्या-हत्या-साजिश के बीच घूम रही महंत नरेन्द्र गिरी की मौत का राज़फाश करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने किया सीबीआई जाँच की संस्तुति

प्रयागराज: महंत नरेन्द्र गिरी के आत्महत्या प्रकरण में उठ रहे सवालों के बीच आज उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना की जाँच के लिए सीबीआई जाँच की संस्तुति किया है। गौरतलब हो कि नरेन्द्र गिरी देश के 18 अखाड़ो के अध्यक्ष थे।

उनके प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ से काफी अच्छे सम्बन्ध थे। नरेन्द्र गिरी के प्रकरण में न केवल आरोपी महंत आनन्द गिरी ने सवाल उठाये थे बल्कि प्रदेश सरकार में मंत्री नंदी ने भी सवाल उठाते हुवे कहा था कि हम लोग जब परेशान होते थे तो महंत नरेन्द्र गिरी के पास जाते थे।

ऐसे आशावादी महंत आत्महत्या कैसे कर सकते है।तमाम सवालो के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत की मौत के मामले का राजफाश करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर सीबीआई से जांच कराने की संस्तुति की गई है।

अभी तक मामले में पुलिस और एसआईटी की जांच सिर्फ महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि के आसपास घूम रही है। उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने ट्वीट किया है कि प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महन्त नरेन्द्र गिरि जी की दुःखद मृत्यु से जुड़े प्रकरण की मुख्यमंत्री जी के आदेश पर सीबीआई से जांच कराने की संस्तुति की गई।

क्या लिखा है सुसाइड नोट में :

महंत नरेंद्र गीरि की मौत के बाद बलबीर गिरि उनके उत्तराधिकारी होंगे। बलबीर गिरि उनके 15 साल पुराने शिष्य हैं और अब तक वो हरिद्वार आश्रम के प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे। महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीहत में बलबीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है।

सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने अपनी अंतिम इच्छा भी लिखी है। उन्होंने शिष्य बलबीर गिरि को जिम्मेदारी सौंपी है कि पार्क में नींबू के पेड़ के पास मेरी समाधि लगा दी जाए। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मेरा मन आनंद गिरी के चलते बहुत विचलित हो गया है।

आनंद गिरि मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। आज जब मुझे सूचना मिली है कि हरिद्वार से कंप्यूटर के जरिए वह लड़की या महिला की तस्वीर लगाकर मेरा फोटो वायरल कर देगा।

मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हुई तो मैं कैसे जी पाऊंगा। इससे अच्छा तो मर जाना है।उन्होंने खत में ये भी लिखा था कि मैंने पहले भी आत्महत्या की कोशिश की थी, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया।एक ऑडियो कैसेट भी आनंद गिरि ने जारी किया था जिससे मेरी बदनामी हुई थी।

आज मैं हिम्मत हार गया हूं। उन्होंने इस पत्र में ये भी साफ किया कि मैं पूरे होश हवास में बगैर किसी दबाव के खत लिख रहा हूं।  आनंद गिरी ने मुझ पर झूठे और मनगढंत आरोप लगाए हैं।

मैं मरने जा रहा हं, सत्य कह रहा हूं कि मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया। एक-एक पैसा और मठ में लगाया है। उन्होंने खत में ये भी लिखा कि आनंद गिरि ने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, उससे मेरी और मठ की काफी बदनामी हुई है। मैं बेहद आहत हूं इसलिए मरने जा रहा हूं।

वहीं आनंद गिरि जिन्हें महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी खुदकुशी के लिए ज़िम्मेदार बताया है, वह कभी उनका इतना प्रिय शिष्य था कि लोग उसे ही उनका उत्तराधिकारी समझते थे। पिछले कुछ वक्त से गुरु शिष्य के रिश्ते खराब थे। झगड़े की वजह बाघम्बरी मठ की सैकड़ों करोड़ की जायदाद बताई जा रही है।

आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर मठ की संपत्तियों को बेचने का आरोप लगाया था। अब नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट से वो खुद फंस गए हैं। लेकिन उनके शिष्य उनके समर्थन में अभियान चला रहे हैं।

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