कुछ लोग कह रहे हैं कि The Kashmir Files एक प्रोपेगंडा फिल्म है

कुछ लोग कह रहे हैं कि The Kashmir Files एक प्रोपेगंडा फिल्म है

नहीं गया था कुछ लोग कह रहे हैं कि The Kashmir Files एक प्रोपेगंडा फिल्म है । देखो इसका प्रोडूसर और डायरेक्टर BJP वालो से मिला हुआ है, देखो इसकी टीम प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो खिंचवा रही है, देखो ये तो आरएसएस वाले हैं जी, ये तो झूठ दिखा रहे हैं, ये तो हमारे समाज में ज़हर घोल रहे हैं, ये तो हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब पर प्रहार कर रहे हैं।

सबसे पहले तो ये समझिये की प्रोपेगंडा आखिर होता क्या है ?

अगर Definition की बात की जाए, तो प्रोपेगंडा का मतलब होता है, “It is an information, especially of a biased or misleading nature, used to promote a political cause or point of view.”

अब आते हैं कश्मीर फाइल्स पर, फिल्म में कई घटनाएं दिखाई गयी हैं, क्या वो झूठ हैं या misleading हैं?

– क्या टीकालाल टपलू की हत्या नहीं हुई थी ?

– क्या यासीन मालिक ने 4 एयरफोर्स अधिकारियो को नहीं मारा था ?

– क्या बिट्टा कराटे और यासीन मलिक के वीडियोस नहीं हैं जिनमे उन्होंने हत्याएं करना स्वीकार किया है ?

– क्या जस्टिस गंजू को बीच सड़क नहीं मारा गया था?

– क्या गिरिजा टिक्कू को आरी से नहीं काटा गया था ?

– क्या तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला और उनकी पार्टी ने JKLF का अदृश्य समर्थन नहीं किया था ?

– क्या बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर भारत में जिहाद फैलाने की बात नहीं की थी?

– क्या पाकिस्तानी सरकार और सेना ने भारत के खिलाफ Operation Tupac नहीं शुरू किया था, जो आज तक चालू है?

– क्या कश्मीर में महीनो पहले से कश्मीरी हिन्दुओ को भाग जाने की धमकी देने वाले पोस्टर नहीं लगते थे?

– क्या कश्मीर में पाकिस्तान की करेंसी नहीं चलने लगी थी ?

– क्या कश्मीर में IST की जगह पाकिस्तान स्टैण्डर्ड टाइम के हिसाब से घडियो को set नहीं किया गया था ?

– क्या कश्मीरी हिन्दुओ को अपने लोगो ने अंतिम संस्कार करने से पहले अखबारों में इश्तिहार नहीं देना पड़ता था, जिसमे आतंकवादियों से याचना कि जाती थी कि क्रिया करने दी जाए, और कोई हमला ना किया जाए ?

– क्या कश्मीर में हजारो मंदिरो को तोडा?

– क्या यासीन मालिक को कांग्रेस सरकार के दौरान प्रधानमंत्री के आवास में बुलाया नहीं गया था ?

– क्या बिट्टा कराते को 2006 में जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने नहीं कहा था कि “सरकार इस केस में सही तरीके से लड़ना ही नहीं चाह रही थी ”

ऐसे ही सैकड़ो किस्से हैं, जिनके official सबूत, डाक्यूमेंट्स, videos , सब मौजूद हैं, और वही सब इस फिल्म में भी दिखाया गया है, फिर ये कैसे प्रोपेगंडा फिल्म हुई? ये तो वही दिखा रहे हैं जो हुआ है, ये misleading करना कैसे हुआ ?

लोग कहते हैं कि कश्मीर से कोई exodus नहीं हुआ, ठीक है भाई, फिर तो ५ लाख कश्मीरी हिन्दू कश्मीर कि सर्दियों से परेशान हो कर जम्मू के गर्मी, धूल,गंदगी से भरे ट्रांजिट कैम्प्स में पिकनिक मनाने आये होंगे, और ये कैसी पिकनिक है जो 30  सालो से ख़त्म नहीं हो रही ?

और सच दिखाने से समाज में ज़हर फैलेगा या सच छुपाने से ? क्या Jews के concentration camps दिखाने से आप जर्मन लोगो से नफरत करना शुरू कर देते हैं, या आप नाज़ी लोगो के प्रति नफरत का भाव रखने लगते हैं ? अगर आज भारत में कोई फिल्म बनाई जाए इस मुद्दे पर, तो मैं दावे से कह सकता हूँ बॉलीवुड वाले एक नाज़ी और Jew की  प्रेम कहानी बना देंगे, कि कैसे एक नाज़ी ने एक Jew की मदद की  कैंप से भागने में ।

अगर नफरत फैलने का डर है तो ऐसे काण्ड करने से पहले सोचना चाहिए था ना, कि समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा , करने से नफरत नहीं फैली, हाँ दिखाने से फ़ैल जायेगी , क्या गजब का लॉजिक है

डायरेक्टर किसी भी विचारधारा का हो, प्रोडूसर किसी भी पार्टी से सम्बंधित हो, एक्टर और एक्ट्रेस किसी भी क्षेत्र और धर्म के हो, इससे क्या फर्क पड़ता है, अगर फिल्म में सच दिखाया जा रहा है तो ?

सच को सच कहना अगर प्रोपेगंडा है, तो मैं ऐसे प्रोपेगंडा का तहेदिल से स्वागत करता हूँ, और चाहूंगा कि ऐसी कथित प्रोपगंडा वाली फिल्में, किताबें, डॉक्यूमेंटरीज, ट्वीट्स, पोस्ट्स, आर्टिकल्स आते रहे, और भरपूर आते रहे।

**** मैं चुनौती देता हूँ, कि आप इस Article  में दी हुई एक भी बात को गलत साबित करें, मैं इसे Propaganda  मान लूँगा*****

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