Sikh for Justice सिख फॉर जस्टिस , गुरपतवंत सिंह पन्नू जी

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इस संगठन का मुख्य सिखों के लिए अलग से देश खालिस्तान बनाना है। अमेरिका में वकील और पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ले चुके गुरपतवंत सिंह पन्नू जी  सिख ऑफ जस्टिस  का चेहरा है।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीनों से दिल्ली की सीमा पर किसान शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे थे, लेकिन गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च ने राजधानी में हिंसक रूप ले लिया।

दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में झड़प हुई जिसमें सैकड़ों पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। ऐसे हिंसा के बीच किसान आंदोलन के बीच बार-बार एक नाम सुनाई दे रहा है। वह है ‘सिख ऑफ जस्टिस’  (SFJ) यह संगठन भारत में प्रतिबंधित है।

सिख ऑफ जस्टिस ने पहले भी एक बयान में कहा था कि भारत सरकार को किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने दी जाने चाहिए, वरना गणतंत्र दिवस के दिन अगर दिल्ली में कुछ हुआ तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की है।

सिख फॉर जस्टिस की शुरुआत अमेरिका में 2007 से हुई थी। इस संगठन का मुख्य सिखों के लिए अलग से देश खालिस्तान बनाना है। अमेरिका में वकील और पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ले चुके गुरपतवंत सिंह पन्नू जी  सिख ऑफ जस्टिस  का चेहरा है। यह पहले भी सुर्खियों में आ चुके हैं। गणतंत्र दिवस के पहले भी इन्होंने हिंसा कर लेकर धमकी दी थी।

सिख फॉर जस्टिस पर साल 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित किया ृ गया था। इस संगठन पर भारत में देशविरोधी अभियान चलाने का आरोप लगा था। SFJ पर पंजाब में लोगों को भड़काने और दुनिया के कई स्थानों पर खालिस्तान की मांग को लेकर प्रदर्शन किए जाने के आरोप है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पन्नू जी के इस संगठन का नाम आतंकियों की सूची में डाल रखा है।

भारत में प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक आतंकी गुट सिख फॉर जस्टिस को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। सिख फॉर जस्टिस ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को 10 हजार डॉलर (करीब 7 लाख रुपये) का चंदा दिया था।

अब यह खालिस्तानी संगठन किसान आंदोलन के दौरान हुए कथित दुर्व्यवहार की जांच कराने के लिए यूएन पर आयोग गठन करने के लिए दबाव बना रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के लिए हाई कमिश्नर के प्रवक्ता ने सिख फॉर जस्टिस से चंदा लेने की पुष्टि की है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र ने सिख फॉर जस्टिस संगठन से 10 हजार डॉलर यानी लगभग सात लाख रुपये का चंदा लिया।

अब यह आतंकी गुट यूएन पर दबाव बना रहा है कि वह भारत में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुए कथित दुर्व्यवहार की जांच के लिए ‘एक जांच आयोग’ का गठन करे।

बता दें कि अमेरिका में रहने वाले सिख फॉर जस्टिस के महासचिव गुरपतवंत सिंह पन्नू जी  ने अपने एक बयान में कहा, सिख समुदाय की ओर 13 लाख डॉलर देने का वादा किया गया है ताकि संयुक्त राष्ट्र की ओर से जांच आयोग का गठन किया जा सके।

यह आयोग भारत की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए गए राष्ट्रद्रोह और हिंसा के आरोपों की जांच करेगा।

यूएन प्रवक्ता ने कहा, ”हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमें एक मार्च को सिख फॉर जस्टिस के लोगों से ऑनलाइन 10 हजार डॉलर चंदा मिला है। आमतौर हम उन लोगों या संस्थाओं के चंदे को तब तक अस्वीकार नहीं करते हैं, जब तक कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित न कर दिया गया हो।

” प्रवक्ता ने आगे कहा कि भारत के खिलाफ इस तरह के किसी जांच आयोग की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि सिख फॉर जस्टिस को इस बारे में बता दिया गया है और अगर उन्हें कोई गलतफहमी है तो उनके 10 हजार डॉलर के चंदे को लौटाया जा सकता है।

भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह जी  को आतंकी घोषित कर रखा है। कहा जा रहा है कि पन्नून सिखों को लेकर जनमत संग्रह करा रहा है। उसने कहा, ‘जहां तक मेरी जानकारी है, संयुक्त राष्ट्र ने आयोग की स्थापना नहीं की है, लेकिन हम इस पूरे मामले को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के लिए बनाए गए हाई कमिश्नर कार्यालय के जरिये उठा रहे हैं।’

बता दें कि यूएन जांच आयोग का गठन अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के गंभीर उल्लंघन की स्थिति की जांच के लिए किया जाता है। इस तरह की जांच के लिए आयोग का गठन सीरिया में भी किया गया है।

 

अमेरिका स्थित SFJ अपने अलगाववादी एजेंडा के तहत 2020 में सिख जनमत-संग्रह की वकालत करता रहा है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पंजाब में एक ‘‘स्वतंत्र एवं संप्रभु देश’’ स्थापित करना है। यह खालिस्तान के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखता है और इस प्रक्रिया में भारत की संप्रभुता एवं अखंडता को चुनौती देता है।

SFJ खासकर ऑनलाइन मंचों पर सक्रिय है और इसके दो लाख से ज्यादा समर्थक हैं। लेकिन शारीरिक तौर पर इसके सदस्यों की सक्रियता बहुत कम है और इसके महज आठ-दस सक्रिय सदस्य हैं। SFJ के सक्रिय सदस्य परमजीत सिंह पम्मा जी ने हाल में विश्व कप क्रिकेट के एक मैच के दौरान 30 जून को भारत विरोधी नारेबाजी की थी।

SFJ पंजाब में अमन और चैन भंग करने के लिए जब-तब प्रयास करता रहता है। पंजाब पुलिस और एनआईए ने कई बार इस चरमपंथी संगठन के मॉड्यूल का भंडाफोड़ भी किया है। SFJ पंजाब में गरीब युवकों को बहका कर उनसे हिंसा तथा आगजनी की घटनाएं करवाता था।

इस संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को फंड मुहैया कराने का काम विदेश में बैठे SFJ के हैंडलर्स गुरपतवंत सिंह पन्नून जी , हरमीत सिंह जी और परमजीत सिंह पम्मा जी करते हैं। गत वर्ष इस संगठन ने युवाओं को ‘लंदन डिक्लेयरेशन’ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निःशुल्क यात्रा का प्रलोभन भी दिया था।

इस संगठन का मूल उद्देश्य पंजाब को भारत से अलग करने का है और इस काम में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसकी सीधी मदद करती है। यह संगठन करतारपुर कॉरिडोर के जरिये अपनी गतिविधियां चलाने की कोशिश भी कर रहा था। माना जा रहा है कि 14 जुलाई को करतारपुर कॉरिडोर मुद्दे पर जो पाकिस्तान के साथ बैठक होनी है, भारत उसमें यह मुद्दा उठा सकता है।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने SFJ को प्रतिबंधित करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह ‘‘आतंकवादी संगठन’’ माने जाने लायक है। उन्होंने इसे आईएसआई समर्थित संगठन के ‘‘भारत विरोधी और अलगाववादी मंसूबों’’ से देश की रक्षा करने की दिशा में पहला कदम करार दिया है।

भारत के कई सिख संगठन केंद्र सरकार से बहुत पहले से ही यह मांग कर रहे थे कि SFJ को प्रतिबंधित किया जाये क्योंकि पाकिस्तान समर्थित यह संगठन समुदाय के युवाओं को भटकाने का काम कर रहा था। पिछले दिनों इस संगठन से जुड़े कई लोगों को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार भी किया था।

इस संगठन की ऑनलाइन गतिविधियों पर भी सरकार की नजर शुरू से बनी हुई है और इसके कई पेज ब्लॉक किये गये हैं। भारत ही नहीं अमेरिकी अदालत ने भी फेसबुक को आदेश दे रखा है कि ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) के फेसबुक पेजों को ब्लॉक कर दिया जाये।

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