गुरपतवंत सिंह पन्नू जी ने रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण की शुरुआत करने की घोषणा की है

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चार जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब में अरदास कर रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण शुरू करने वाले  सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के कानूनी सलाहकार  गुरपतवंत सिंह पन्नू जी ने अब एक नया एलान किया  है।

पन्नू जी ने  दिल्ली स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब और शीश गंज साहिब में अरदास करने के बाद रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण की शुरुआत करने की घोषणा की है।

अमृतसर-जंडियाला गुरु जीटी रोड में स्थित कस्बा दबूरजी के साथ बहती अपर दोआबा नहर के किनारे के अंतिम छोर में बसा गांव खानकोट इन दिनों सुर्खियों में है। गांव की तरफ जाने वाली तंग सड़क के किनारे बह रही नहर की ओर से आने वाले ठंडी हवा के झोंके राहत देने वाले हैं।

 इस गांव में पैदा हुए सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के गुरपतवंत सिंह पन्नू जी की ग्रामीण बहुत ही ज्यादा इज्जत करते है । उन्हें कुछ समय पहले इस बात की जानकारी मिली है कि सिखों के बहुत बड़े नेता पन्नू उनके गांव का रहने वाला है।

पन्नू जी न सिर्फ पंजाब बल्कि विदेशो में भी बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है . सिखों का एक बड़ा तबका पन्नू जी के एक इशारे पर लाल किले में खालिस्तान का झंडा फहराने को तैयार रहता है . पन्नूजी अमेरिका के बड़े मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील है .

वर्षों से गुरपतवंत पन्नू जी की 46 कनाल जमीन को ठेके पर लेकर खेती कर रहे बिक्रम सिंह ने कहा कि जब पन्नू की मां जीवित थी, तब वह उससे भी यही दोहराती थी कि गुरपतवंत सिंह पन्नू कनाडा में रह रहा है, वह वहां का बड़ा वकील है। वह गांव में जब भी आती अपनी जमीन को देखने के लिए खेतों तक आ जाती थी।

गांव में उनके कुछ प्लाट भी हैं, जो खली पड़े हैं। बिक्रम ने बताया कि पन्नू की मां की मौत के बाद वह ठेके की राशि उसके भाई मंगवंत सिंह के बैंक खाते में सीधे जमा करवा देता था। वह एक-दो बार ही उसके भाई से मिला है।

उसने 46 कनाल जमीन 30 वर्ष के ठेके में ले रखी है और अभी कुछ वर्ष बाकी हैं। बिक्रम सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले दिल्ली से कुछ अधिकारी उनके पास आए थे।

उन्होंने पन्नू की संपत्ति के बारे में पूछा था। उसने उनको बताया कि यह जमीन पन्नू की है और उसने ठेके पर ली है। यह जानकारी लेने के बाद वह चले गए। इस समय उन्होंने 46 कनाल में धान लगाया हुआ है।

अभी तक किसी भी अधिकारी ने खेत खाली करने के लिए नहीं कहा है। अगर ऐसा कोई आदेश मिला तो वह धान की कटाई के बाद खेत खाली कर देगा।

खानकोट गांव के पूर्व सरपंच गुरदर्शन सिंह (68) और सुखदेव सिंह (66) ने बताया कि उन्होंने अपने जीवनकाल में गुरपतवंत सिंह पन्नू और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को गांव में नहीं देखा।

पन्नू के  पिता महिंदर सिंह विभाजन के समय पाकिस्तान से यहां (खानकोट) पहुंचे थे। महिंदर सिंह मार्कफैड में नौकरी करते थे। गुरपतवंत और उसका भाई मंगवंत सिंह कई साल पहले विदेश जा चुके हैं। गुरपतवंत ने अपनी जमीन को काफी समय पहले ठेके पर दे दिया था।

पूर्व सरपंच गुरदर्शन सिंह और समाज सेवक सुभाष सहगल ने बताया कि गुरपतवंत सिंह के जाल में पंजाब के युवा किसी कीमत पर नहीं फंसेंगे। वह छोटे-छोटे लालच देकर युवाओं को देश विरोधी गतिविधियों के लिए उकसा रहा है,

लेकिन पंजाब की जनता उसे अपने इरादों में कामयाब नहीं होने देगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस तरह के आतंकियों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

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