धामी Dhami अपने MLA की सीट से लड़ेंगे चुनाव या विपक्ष में लगाएंगे सेंध

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देहरादून: युवा Dhami उत्तराखंड प्रदेश में राजनीति में कई परम्पराएं और नियम राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के हिसाब से बनाते आए हैं. प्रदेश में विधायकों के चुनाव के बाद उनमें से ही मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा कम ही रही है.

उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों के सत्ता में आने के बाद पैराशूट मुख्यमंत्री ही देखने को मिले हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी 47 सीटों के साथ बहुमत में आई, लेकिन उसके बाद भाजपा हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद भी एक बार फिर उन पर विश्वास जताकर सीएम बना दिया.

अब धामी को 6 माह के भीतर चुनाव लड़कर विधानसभा का सदस्य बनना है. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या बीजेपी सीएम के लिए अपने विधायक की सीट छुड़वाती है या पूर्व की भांति विपक्षी दल में सेंधमारी की परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा.

क्या बीजेपी, कांग्रेस में सेंध लगाएगी: भाजपा के कई विधायकों ने भी पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने की बात कही है. इसमें सबसे पहले चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी का नाम है.

जिसके कारण सीएम धामी की चंपावत से चुनाव लड़ने की खबरें भी सामने आ रही हैं. इस बीच सियासी गलियारों में यह भी चर्चा चल रही है कि भाजपा, कांग्रेस में सेंधमारी कर सीएम धामी के लिए सीट खाली करवा सकती है. जिससे उनकी 47 सीटें यथावत बनी रहें.

राजनीतिक मामलों के जानकार जय सिंह रावत का कहना है कि जहां तक सीएम चुनाव के लिए दूसरे दल में सेंधमारी की बात है, तो आज की परिस्थिति पूर्व की परिस्थितियों से बिल्कुल विपरीत है.

वर्तमान में प्रदेश में भाजपा बहुमत में है. 2007 की बात करें, तो उस समय भुवन चन्द्र खण्डूड़ी भाजपा को बहुमत में नहीं ला पाए थे. तब उन्होंने धुमाकोट से टीपीएस रावत से सीट खाली करवाकर चुनाव लड़ा, तो भाजपा की भी एक सीट बढ़ी थी.

चंपावत से चुनाव लड़ने का दावा है मजबूत: इसी तरह 2012 में विजय बहुगुणा ने भी सितारगंज से किरण मंडल को भाजपा से तोड़कर उनकी सीट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस को मजबूत किया.

इस समय भाजपा को 2007 की तरह सेंधमारी की आवश्यकता नहीं है. अगर इस नीति के साथ भाजपा चल रही है कि अपने विधायकों को यथावत रखा जाए और कांग्रेस को एक सीट का नुकसान पहुंचाया जाए तो हो सकता है कि सीएम धामी सेंधमारी की परम्परा को आगे बढ़ा सकते हैं.

वे कहते हैं तमाम समीकरणों को देखते हुए सीएम धामी की चम्पावत से दावेदारी जगजाहिर है. अगर सबकुछ सही रहा तो धामी चंपावत से ही उपचुनाव लड़ेंगे.

इस सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं सीएम धामी: सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के निकाले जा रहे हैं सियासी मायने

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किस विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ेंगे, बेशक अभी यह तय नहीं है, लेकिन सियासी हलकों में उनके कैंट सीट से चुनाव लड़ने की संभावना से जुड़ी चर्चाएं गरमाने लगी हैं।

मुख्यमंत्री को छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है, इसके लिए उन्हें उपचुनाव लड़ना है। करीब छह विधायक अभी तक उनके लिए अपनी सीट खाली करने का एलान कर चुके हैं।

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उपचुनाव के लिए उन्हें ऐसी विधानसभा सीट की तलाश है, जिसपर चुनाव लड़ना सहज हो।  पिछले दिनों मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार धामी जब चंपावत विधानसभा के राजनीतिक दौरे पर गए तो उनके वहां से उपचुनाव लड़ने की कयसबाजी ने जोर पकड़ा।

अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसके जरिये चर्चा हो रही है मुख्यमंत्री देहरादून कैंट विधानसभा से भी ताल ठोक सकते हैं। यह वीडियो विधानसभा चुनाव के प्रचार के समय का है। मुख्यमंत्री कैंट विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे।

वीडियो में मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जब से उत्तराखंड बना है, वह कैंट विधानसभा क्षेत्र में रह रहे हैं। वह यमुना कालोनी में वास कर रहे हैं। इस वीडियो में कही गई बातों के सियासी मायने टटोले जा रहे हैं।

सियासी हलकों में चर्चाएं गरमा रही हैं कि मुख्यमंत्री जिन विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं, उनमें से एक कैंट भी हो सकती है। करीब छह विधायक अभी तक उनके लिए अपनी सीट खाली करने का एलान कर चुके हैं। इनमें चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी भी हैं।

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