स्वदेश वापसी के बाद रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम को चुना, जहां उनकी आगे के अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट की तैयारियां सुचारू रूप से चल सकें
स्वदेश वापसी के बाद रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम को चुना, जहां उनकी आगे के अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट की तैयारियां सुचारू रूप से चल सकें
नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले पहलवान रवि दहिया भारत लौटने के बाद घर जाकर आराम करने के बजाय छत्रसाल स्टेडियम में आने वाली अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं.
जापान के टोक्यो शहर में 8 अगस्त को संपन्न हुए ओलंपिक खेलों के बाद ज्यादातर खिलाड़ी व्यस्त कार्यक्रमों के बाद अब परिवार के साथ समय बिता रहें हैं और आराम कर रहें हैं, लेकिन टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती के 57 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीतने वाले रवि दहिया का कुछ और ही लक्ष्य है.
9 अगस्त को भारत वापसी के बाद रवि दहिया ने घर जाने के बजाय आने वाले दिनों में कुश्ती के अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट की तैयारियों के दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम को चुना. 9 अगस्त को भारत वापसी पर रवि दहिया का दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर छत्रसाल स्टेडियम में स्वागत किया गया था.
स्वदेश वापसी के बाद रवि ने घर या होटल में रुकने के बजाए दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम को चुना, जहां उनकी आगे के अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट की तैयारियां भी सुचारू रूप से चल सकें.
भारतीय पहलवान रवि दहिया टोक्यो ओलिंपिक के बाद शाद करेंगे। रवि के पिता राकेश दहिया ओलिंपिक से पहले उनके लिए लड़की देख रहे थे, लेकिन रवि ने मना कर दिया था। अब पदक जीतकर लौटने के बाद रवि की शादी पर उसके पिता राकेश दहिया विचार करेंगे।
वहीं, रवि की जीत के बाद बुधवार शाम को उनके गांव नाहरी (सोनीपत) में ग्रामीणों ने दीये जलाकर दीपावली मनाई।
फिर लोगों ने रवि के पिता राकेश का भव्य स्वागत किया। इसके बाद युवाओं की टोली ने पूरे गांव की गलियों घूमते हुए ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। इसके बाद गांव में घी के दीपक जलाकर दीपावली मनाई।
गांव में दिनभर उत्सव जैसा माहौल बना रहा। गांव नाहरी की चौपाल में बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। रवि के जीतते ही भारत माता की जय, रवि जिंदाबाद, हमें स्वर्ण चाहिए के नारे गूंजते थे। राकेश पेशे से किसान हैं।
आíथक तंगी से जूझते हुए राकेश ने रवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। राकेश दूसरे बेटे पंकज को भी पहलवान बना रहे हैं।
अगले साल होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में रवि दहिया का लक्ष्य स्वर्ण पदक है. रवि दहिया की नजरें अगले साल कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और फिर 2024 में पेरिस ओलंपिक पर भी हैं. ऐसे में उन्हें रुकना नहीं है.
देशवासियों ने जो टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने पर प्यार दिया है उसे ना सिर्फ बना कर रखना है बल्कि और पदक जीतकर देश का विदेशी धरती पर नाम रोशन करना है. सपना बड़ा है तो पूरा करने के लिए मेहनत भी ज्यादा लगेगी.
रवि दहिया के साथी और उनसे सीनियर पहलवान अरुण कुमार के मुताबिक रवि का अगला लक्ष्य कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड है, जिसकी वजह से रवि की तैयारियों में साथी पहलवान भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे.
रवि रोजाना 7-8 घंटे कुश्ती की प्रैक्टिस करता है और 3 घंटे जिम में व्यायाम करके शरीर को फिट रखता है, ताकि टोक्यो में गोल्ड जीतने का सपना रवि पेरिस में पूरा कर सके.
सुविधाओं की बात करें तो दिल्ली सरकार ने छत्रसाल स्टेडियम को पहलवानों की जरूरत के मुताबिक सभी तरह की अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं जैसे जिम इक्विपमेंट्स, हेल्दी डाइट, कोच और अन्य जरूरी सुविधाएं दी रखी हैं, जिससे रवि की तरह ही और पहलवान अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम पदक जीतकर रोशन करें.
दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम के संचालक और दिल्ली शिक्षा विभाग के उप निदेशक संजय अंबस्ता के मुताबिक जुलाई 2020 में जब पूरे विश्व मे कोविड का कहर चल रहा था और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट बन्द थी तब सबसे बड़े सवाल रवि की ओलंपिक की तैयारियों को लेकर खड़ा हुआ था.
ऐसे में छत्रसाल स्टेडियम को सभी अंतराष्ट्रीय सुविधाओं से रवि की प्रैक्टिस के से लैस किया गया बल्कि इस काम को करने में सिर्फ 3 दिन का समय लिया गया था, जिससे रवि की ओलंपिक की तैयारियों में कमी ना हो.
अब रवि ओलंपिक से आ गया है और उसका अगला लक्ष्य कॉमनवेल्थ गेम्स और एशिया खेल हैं उसमें भी छत्रसाल स्टेडियम का प्रशासन और दिल्ली सरकार रवि की पूरी मदद कर रहें ताकि रवि की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारियों में कुछ भी कमी ना आए.
साल 2008 में रवि दहिया ने 10 साल की उम्र में दिल्ली के इसी छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती के दांव सीखना शुरू किया था. तब से ही दिल्ली का यह छत्रसाल स्टेडियम रवि दहिया की कर्म भूमि बना हुआ है.
चाहे टोक्यो ओलंपिक की तैयारियां हों या फिर अब अगले साल होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियां रवि दाहिया का दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में मिलनी वाली सुविधाएं कोच और सीनियर पहलवानों पर भरोसा अटूट है.