#शूद्र_नीच_हैं : #अम्बेडकर-Dr Tribhuwan Singh

#शूद्र_नीच_हैं : #अम्बेडकर
न गांधी ने, न सुभाष ने, न गोखले ने, न तिलक ने, न घासीराम ने, न रैदास ने, न राम ने, न उनके कुलगुरु वशिष्ठ ने, न उनके द्वितीय गुरु विशमित्र ने, न रामायण ने , न महाभारत ने, न वेद ने, न उपनिषद ने, किसी ने भी शूद्रों को नीच घोसित किया।
सिर्फ अम्बेडकर एकमात्र व्यक्ति हैं जो बोलते हैं शूद्र का अर्थ है नीच।
नीच शब्द menial का हिन्दीकरण है।
अम्बेडकर जी ने अपनी पुस्तक #WhoWereTheShudras के प्रस्तावना में वर्ण व्यवस्था को अपने समर्थकों को समझाते हुए लिखा –
ब्राम्हण अर्थात प्रीस्ट।
क्षत्रिय अर्थात warrior
वैश्य अर्थात ट्रेडर
और
शूद्र अर्थात नीच (menial)
अम्बेडकर जी के इस बयान को सच मान लिया गया।
अंबडेकर की यह व्याख्या एक कल्पित झूंठ है। क्योंकि उनको शास्त्रों के अध्ययन करने का की सामर्थ्य और क्षमता नहीं थी, वे इस बात को अपनी पुस्तक में स्वयं स्वीकार करते हैं।
शास्त्र संस्कृत में हैं।
और उनको संस्कृत आती नही थी।
तो वे किन संस्कृतज्ञों के द्वारा लिखे गए ग्रंथो को पढ़कर इस भ्रामक निष्कर्ष पर पहुचे?
जिनके माइंड सेट हो चुके हैं।
उनके लिए मैं नहीं लिखता।
मैं उनके बच्चों के लिए लिखता हूँ।
वे भी अपने बाप के माइंड सेट को पढ़ ही रहे होंगे।
बाबा साहेब की किताब की स्नैप शॉट नीचे हैं।
वे किस तरह भृमित होकर इस कल्पित निष्कर्ष पर पहुँचे, उसे जानना हो तो उनके पुस्तक की अवलोकन और समीक्षा पढिये।

Disclaimer लेखक के निजी विचार हम सहमत अथवा असहमत नहीं .


