#बाबा_बख्तियार की मूर्खता, धूर्तता और fanatism के कई उदाहरण-Dr Tribhuwan Singh
1- उनको संस्कृत नहीं आती थी फिर भी उन्होंने वेदों आदि का उद्धरण देते हुए अपनी पुस्तक #WhoWereTheShudras में यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि शूद्र निम्न थे।
वे तो इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शूद्र थे ही नही वे क्षत्रिय थे।
प्रश्न यह उठता है कि शूद्र निम्न हैं यह बात किसने कही?
क्या किसी संस्कृत ग्रन्थ में ऐसा लिखा है?
नही।
जिस कौटिल्य को संदर्भित करते हुए उन्होंने लिखा कि शूद्र भी आर्य थे, उसी ग्रन्थ में लिखा है कि शूद्र का कर्तव्य – अपने स्वभाव के अनुकूल – सर्विस सेक्टर, इंजीनियरिंग, वास्तुकला का निर्माण, शिल्प मैन्युफैक्चरिंग, गायन वादन, फ़िल्म नाटक और नौटंकी में काम करना है।
2- तो उनको कहाँ से यह बात पता चली कि शूद्र नीच थे?
अवश्य ही मैक्समुलर और एम ए शेररिंग जैसे लोगों के द्वारा भारत के बारे में फैलाये गए अफवाह साहित्य का अध्ययन करके वे इस निर्णय पर पहुंचे होंगे।
3- मनुस्मृति या किसी भी ग्रन्थ का दहन और वह भी बिना उसका अध्ययन किये – किस मानसिकता का परिचायक है – पागलपन या fanatism ?
4- बुद्ध की शरण मे जाने की नौटंकी करने वाले अम्बेडकर को क्या पता भी था कि बुद्ध मनु के प्रशंसकों में से एक थे। धम्म ग्रंथो में मनुषमृति के श्लोकों का वर्णन तो यही सिद्ध करता है।
और वह यह भी सिद्ध करता है कि दलित चिंतन एक कूड़ेदान से अधिक कुछः भी नही है।
ये समस्त दलित चिन्तक अम्बेडकर की तरह ही मैकाले के स्कूल से निकले ” अभारतीय और मूर्ख पिछलग्गू” हैं।
प्रमाण संलग्न है – बुद्ध के धम्मपद में मनुस्मृति का किस सम्मान के साथ वर्णित किया है बुद्ध ने।
अंत में: बुद्ध राजा थे। राज्य को त्यागा था सत्य की खोज में। संसार को त्यागा था परम की खोज हेतु।
दो कौड़िये राजनीतिज्ञ उसी बुद्ध को सन्सार में घसीट लाए। बुद्धत्व का इससे अधिक अपमान क्या हो सकता है?
Desclaimer लेखक के निजी विचार हम सहमत अथवा असहमत नहीं .


