अंबेडकर नगर की एक प्रेमिल कन्या को चार लड़कों से एक साथ प्रेम हुआ -फरार

अंबेडकर नगर की एक प्रेमिल कन्या को चार लड़कों से एक साथ प्रेम हुआ ,एक साथ एकाधिक लोगों से प्रेम हो जाना नितांत नैसर्गिक क्रिया है पर कायरतावश ऐसे प्रसंगों को गोपनीय रखा जाता है हमारे यहाँ ! पर इस साहसी कन्या ने सब कुछ सार्वजनिक करना उचित समझा और जब उससे यह अनुरोध किया गया कि वो किसी एक को चुन कर समाज को अनुग्रहित करे तो उसने पंचों के चुने भाग्यशाली लड़के के गले मे वरमाला पहनाने मे भी क़तई आनाकानी नहीं की !

सुंदरी एक थी उसे चाहने वाले चार थे ! लोकतंत्र पर भरोसा करने वाली इस सुकन्या ने चारो को क़िस्मत आज़माने के बराबर अवसर उपलब्ध कराये ! भागी तो चारो के साथ भागी ! हम अपने नीति निर्धारकों से भी इसी निष्पक्षता की आशा करते हैं ! लोकतंत्र भरोसे की व्यवस्था है ! भरोसा निष्पक्षता की कोख से उपजता है ! जब नागरिकों को यह लगे कि उसकी योग्यता का पूरा सम्मान किया जायेगा ,उसकी टांग नहीं खींची जायेगी ,किसी बड़े आदमी का भाई या भतीजा उसका हक मार नहीं पायेगा तो अपने राष्ट्र और व्यवस्था पर उसका भरोसा बढता है ,भरोसे से प्रेम पैदा होता है और फिर वो देश के लिये कुछ भी करने को हमेशा तत्पर बना रहते है !

दिल की साफ इस लड़की ने जो किया उसमे पूरी पारदर्शिता बरती ! एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिये यह आधारभूत आवश्यकता है ! पारदर्शिता लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधारभूत सत्य है ! इस लोकतांत्रिक कन्या ने इस आदर्श का भी पूरा सम्मान किया ! इस कन्या का प्रेम करने का ढंग पारदर्शिता का उत्कर्ष है ,वो चाहती तो अपने प्रेम संबंधों को गोपनीय रख सकती थी ! वो अपने हरेक प्रेमी को यह भरोसा दिला सकती थी कि वो केवल उसी से प्रेम करती है ,यदि वो ऐसा करती तो अपने सारे प्रेमियों का आजीवन दोहन कर सकती थी पर उसने अपने सारे प्रेमियों से समान और सार्वजनिक रूप से प्रेम किया ,वह सभी के प्रति समान रूप से उदार थी ,उसने किसी को निराश नहीं किया ! हम अपने लोकतंत्र से भी यही आशा करते हैं !

लोकतंत्र पर इस कन्या ने जिस तरह टूट कर भरोसा किया है उससे हमारे लोकतंत्र के चिरंजीवी होने की उम्मीद और मज़बूत ही होगी ! जब उसके सामने किसी एक को चुनने का प्रस्ताव रखा गया तो उसने इस हेतु भी लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन किया ,उसने और उसके प्रेमियों ने पंचों की रात सर माथे रखी ,अपने जीवन का फ़ैसला उन्हें करने दिया ! प्रेम संबंधी मामले बिना खून खच्चर के निपटते कम ही देखे गये है पर इस मामले मे कन्या और उसके प्रेमियों ने जिस शांति पूर्ण तरीक़े से पंचों की राय का सम्मान किया उसकी जितनी प्रशंसा की जाये उतनी ही कम है !

कन्या के प्रेमियों का आचरण तो और भी साधुवाद के योग्य है ,वे चुनाव प्रक्रिया मे शांति पूर्वक सम्मिलित हुए ,उन्होंने आपस मे सोहाद्र बनाये रखा ! कानून और व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा उन्होंने ,एक दूसरे को ज़हर देने की इच्छा मन मे दबाये रखी ! इस पूरे मामले मे धन बल का उपयोग हुआ हो ऐसी भी कोई सूचना नहीं है ,हारने वालों ने अनर्गल बयानबाज़ी नहीं की ,जीते उम्मीदवार ने गाल नहीं बजाये ,कोई विजय जुलूस नहीं निकाला गया ,एक परिपक्व लोकतंत्र का इससे बेहतर उदाहरण और क्या हो सकता है !

सहजता ,सच्चाई ,उदारता ,सहिष्णुता,पारदर्शिता,निष्पक्षता ,ईमानदारी ,सभी के लिये समान अवसर ,चुने गये जनप्रतिनिधियो की कार्यकुशलता,उनके किये गये निर्णय का सम्मान ,ये सारी बातें एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लक्षण है ,यह सब याद दिलाने के लिये ,अंबेडकर नगर की इस सुंदर ,निडर कन्या और उसके सरल ,अनुशासनप्रिय प्रेमियों का आभारी होना चाहिये हमें ! और कायदे से इस संवैधानिक आचरण के लिये उनका सार्वजनिक अभिनंदन किया जाना चाहिये !

You may also like...